Kamal Haasan: सोशल मीडिया पर तमिल अस्मिता को लेकर दो धुरी नजर आ रही है। एक ओर NEP को समर्थन मिल रहा है, तो दूसरा खेमा इसे तमिल अस्मिता को खतरा बता रहा है। इस पूरे प्रकरण में अभिनेता से नेता बने कमल हासन की एंट्री हो गई है। बीते शाम मक्कल निधि मय्यम पार्टी प्रमुख कमल हासन ने तमिल भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। सीएम एमके स्टालिन के बाद Kamal Haasan ने भी लगभग सख्त लहजे में तमिल भाषा के साथ छेड़छाड़ न करने की हिदायत दी है। उन्होंने पीएम मोदी का नाम लिए बगैर केन्द्र को इशारों-इशारों में ही ऐसे मामलों को हल्के में लेने के खिलाफ चेतावनी दी है। बता दें कि केन्द्र की मोदी सरकार और तमिलनाडु की MK Stalin सरकार के बीच SSA फंड को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और पीएम श्री स्कूल योजना से जोड़ने को लेकर सियासी जंग छिड़ी है।
केन्द्र और तमिलनाडु के बीच छिड़ी तकरार में Kamal Haasan की एंट्री!
कमल हासन ने केन्द्र और तमिलनाडु के बीच छिड़ी जंग के बीच प्रतिक्रिया देते हुए सख्त चेतावनी दी है। कमल हासन का कहना है कि “तमिल भाषा के लिए लोगों ने अपनी जान गंवाई है। उन चीजों के साथ मत खेलो। तमिलनाडु के बच्चे-बच्चे को पता है कि उन्हें कौन सी भाषा चाहिए। उनके पास यह चुनने की पूरी समझ है कि भाषा के रूप में उन्हें क्या चाहिए।” Kamal Hassan ने पीएम मोदी का नाम लिए बगैर तमिलनाडु के ऐतिहासिक संघर्ष का जिक्र किया। केन्द्र को इशारों-इशारों में लगभग चेताते हुए उन्होंने कहा कि भाषा के मुद्दे को हल्के में मत लीजिए।
MK Stalin ने भी NEP को लेकर जताई थी आपत्ति
बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, पीएम मोदी को पत्र लिखकर आपत्ति जता चुके हैं। उन्होंने पत्र में के माध्यम से स्पष्ट किया था कि “यह कैसे उचित है कि तमिलनाडु के छात्रों को समग्र शिक्षा के लिए धन केवल तभी आवंटित किया जाएगा जब NEP 2020 पूरी तरह से लागू किया जाएगा और त्रिभाषी नीति अपनाई जाएगी? क्या तमिल लोगों की भावनाओं की कद्र नहीं?क्या दो अलग-अलग परियोजनाओं को समाप्त करके शिक्षा निधि पर रोक लगाना सही है?” MK Stalin ने कहा था कि तमिलनाडु को केन्द्र की ये नीति अस्वीकार्य है और इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। इसके बाद दिल्ली से चेन्नई तक राजनीतिक बयानबाजी का दौर चला। ऐसे में अब इस पूरे प्रकरण में DMK के अलावा MNM चीफ Kamal Hassan की एंट्री मामले को और दिलचस्प बना रही है। अब देखना होगा कि आगे केन्द्र का इस पर क्या रुख होता है।