Delhi Air Pollution: यह तो आप जानते ही होंगे कि दिल्ली-एनसीआर में ठंड की दस्तक के साथ ही जानलेवा धुंध की चादर भी आ जाती है। बीते कई दिनों से दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है। एक्यूआई यानी एयर प्रदूषण इंडेक्स कई दिनों से गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, दिल्ली में लगातार दूसरे दिन एक्यूआई का स्तर 400 से ज्यादा दर्ज किया गया। बीते दिन दिल्ली में ग्रैप-3 यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत पाबंदियों को लागू किया गया था। फिर भी बुधवार को हवा की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है।
Delhi Air Pollution से ये इलाके सबसे अधिक प्रभावित
सीपीसीबी के अनुसार, राजधानी दिल्ली का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 414 दर्ज हुआ। दिल्ली के कई इलाकों में भी हवा का स्तर 400 से अधिक रहा। आनंद विहार में 438, बवाना 451, चांदनी चौक 449, द्वारका सेक्टर-8 423, वजीरपुर 459, आईटीओ 433, मुंडका 443, नरेला 437 और रोहिणी 442 दर्ज किया गया। सीपीसीबी ने बताया है कि दिसंबर 2024 के बाद पहली बार है, जब दिल्ली की हवा लगातार गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
मालूम हो कि 50 से 100 के बीच एक्यूआई संतोषजनक रहता है, 100 से 200 को मध्यम, 200 से 300 को खराब, 300 से 400 तक के लेवल को बहुत खराब और 400 से 500 तक के प्रदूषित वायु स्तर को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है।
दिल्ली एयर प्रदूषण के बढ़ते खतरे के बीच लागू हुआ ग्रैप-3
वहीं, सीएक्यूएम यानी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पिछले दिन मंगलवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता को लेकर समीक्षा बैठक की। इसके बाद जीआरएपी के चरण-3 के तहत कई पाबंदियों को लागू कर दिया।
ग्रैप-3 की पाबंदियों के तहत दिल्ली-एनसीआर में कई गैर-जरूरी कार्यों पर रोक लग जाती है। इसमें गैर-जरूरी निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। इसमें पत्थर तोड़ने वाली मशीनों और खनन कार्यों को बंद करना शामिल है।
इसके साथ ही प्रतिबंधित क्षेत्र में बीएस-3 मानकों के तहत पेट्रोल और बीएस-4 के डीजल वाहनों की आवाजाही पर बैन लग जाता है। साथ ही बीएस-4 तक के सभी डीजल मालवाहनों भी दिल्ली क्षेत्र में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। हालांकि, अगर मालवाहकों में जरूरी सामग्री है, तो उन्हें छूट मिल सकती है। वहीं, 5वीं कक्षा तक के छात्रों की घर से पढ़ाई शुरू हो जाती है और स्कूल में ऑफलाइन एजुकेशन बंद हो जाती है। इस दौरान कई निजी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को हाइब्रिड या घर से काम करने का विकल्प दे सकती हैं।






