रविवार, जून 1, 2025
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75 पैसे की टेबलेट 15 रुपए, इंजेक्शन की MRP लागत से दस गुना! डॉक्टर की सहमति से दवा कंपनियों की लूट; मोल भाव देख मानवता शर्मसार

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Doctor Pharma Nexus: चिकित्सा प्रणाली किस कदर बदली है इसकी बानगी शायद कईयों ने देख ली होगी। यदि आप किसी अस्पताल के बाहर जाएं, तो निश्चित रूप से दो-चार ऐसे तामीरदार मिल जाएंगे, जिनकी आपबीती आपकी आंखें गीला कर सकती है। दरअसल, फर्जी कंपनियां इसे पूरा कारोबार में तब्दील कर चुकी हैं और दवाइयों की खेप लागत से कई गुना कीमत पर बेचा जा रहा है। Doctor Pharma Nexus का खुलासा दैनिक भास्कर के एक स्टिंग ऑपरेशन में भी हुआ जिसमें फर्जी दवा कंपनियों ने ऑन कैमरा सच कबूला। ये पूरा नेक्सस इस कदर हावी है कि 75 पैसे की टेबलेट 15 रुपए, तो 23 रुपए का इंजेक्शन 250 रुपए तक में बिक रहा है। इंसानी जान की ऐसी मोल भाव देख शायद मानवता भी शर्मसार हो जाए।

पंचकूला में दवा कंपनियों का फर्जी नेक्सस!

स्टिंग ऑपरेशन के दौरान दैनिक भास्कर की टीम जब हरियाणा के पंचकूला पहुंची को स्थिति देख वो दंग रह गए। दवा करोबारी बनकर पहुंचे रिपोर्टर ने MRP से जुड़ा सवाल पूछते हुए कहा कि एमआरपी को लेकर कोई दिक्कत तो नहीं? इसका जवाब देते हुए संचालक ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है। सरकार के कंट्रोल से बाहर वाले सॉल्ट पर आप अपनी मर्जी का एमआरपी करा सकते हैं। डॉक्टर की मिलीभगत का जिक्र करते हुए संचालक ने बताया कि “एक चिकित्सक ने 380 रुपए में 100 गोली मिलने वाली दवा को 12000 रुपए में 100 गोली का MRP कराया है। यानी कि 38 रुपए की 10 गोली मिलने वाली दवा, अब 1200 में बिकेगी।

टीम चंडीगढ़ में भी दवा के नाम पर लूट मचाने वाले संचालक से मुलाकात की। इस दौरान रिपोर्टर ने पूछा कि आप डीएसआर कितने में बना देंगे? इसका जवाब देते हुए संचालक ने कहा कि डॉक्टर की डिमांड पर 110 रुपए की 100 गोली मिलने वाले DSR की एमआरपी 150 रुपए की 10 गोली कर दी जाती है। वहीं एंटीबायोटिक मेरोनेपम इंजेक्शन जो 130 रुपए है, उसे 1067 की MRP के साथ सप्लाई किया जा रहा है। इसके अलावा Doctor Pharma Nexus का खुलासा तब हुआ, जब 23 रुपए में मिलने वाले सेफ्ट्रिएक्सॉन सैलबेक्टम इंजेक्शन को 250 रुपए, प्रोटीन पाउडर को 500 रुपए और कैल्शियम-मल्टी विटामिन की 15 रुपए वाली टेबलेट 300 रुपए तक की एमआरपी करने की बात सामने आई।

नवंबर 2024 में की गई ये रिपोर्ट मानवता को ना सिर्फ शर्मसार करती है, बल्कि हमें ये सोचने पर भी मजबूर करती है कि एक सभ्य नागरिक के रूप में हमारे बीच कैसे-कैसे लोग फर्जीवाड़े को बढ़ावा दे रहे हैं।

इंसानी जान की मोल भाव देख मानवता शर्मसार!

यूं तो कोई शौकिया अस्पताल जाता नहीं। जिन्हें किसी ना किसी तरह की दिक्कत होती है वहीं चिकित्सकों के पास परामर्श लेने पहुंचते हैं और उनके कहे अनुसार दवाओं का सेवन करते हैं। हालांकि, सेवा रुपी इस कार्य को अब व्यवसाय का रूप माना जा रहा है और इंसानी जान की कीमत मोल भाव की जा रही है। कहीं प्राइवेट अस्पताल में जाएं, तो इन दावों पर मुहर लगती नजर आती है। फिलहाल Doctor Pharma Nexus लगातार सामने आ रहा है और सरकारी संस्थाएं नियमानुसार कार्रवाई को रफ्तार देकर इन्हें रोकने का काम कर रही हैं। ऐसी स्थिति में लोगों के लिए बड़ी चुनौती है इस बाजार में खुद को बिकने से बचाना, जिसके लिए आए दिन व्यक्ति संघर्ष करता देखा जाता है।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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