National Unity Day 2025: आज 31 अक्तूबर 2025 का दिन काफी खास है। आज पूरा देश सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस 2025 मना रहा है। लौह पुरुष के नाम से लोकप्रिय सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जो कठिन और चुनौतीपूर्ण कदम उठाए। उनकी आज भी प्रशंसा होती है। सरदार वल्लभभाई पटेल का दूरगामी विजन आज के भारत के लिए काफी उपयोगी माना जाता है। जहां कुछ लोग समाज को तोड़ने का काम करते हैं। ऐसे में क्या देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लौह पुरुष सरदार पटेल के विजन को फॉलो कर रहे हैं?
National Unity Day 2025: क्या पटेल के विजन को आगे बढ़ा रहे हैं पीएम मोदी?
पीएम मोदी का विजन भारत के पहले उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के विजन के साथ समान बैठती है। दोनों नेताओं के बीच सरकार चलाने से लेकर भविष्य की नीतियों को तैयार करने तक में एकरूपता दिखाई देती है। इसके साथ ही दोनों ही नेता ताकत के जरिए एकता, अनुशासित तंत्र, राष्ट्रीय उद्देश्य की शक्ति को बढ़ावा देने वाली सोच को आगे बढ़ाना मायने रखता है। ऐसा माना जाता है कि लौह पुरुष सरदार पटेल ने एक एकजुट भारत की नींव रखी थी। वहीं, पीएम मोदी अपने शासन के जरिए 21वीं सदी के लिए उस एकता को मजबूत और आधुनिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
राष्ट्रीय एकता दिवस 2025: दोनों नेताओं की राष्ट्र निर्माण को लेकर समान विचारधारा!
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि सरदार वल्लभभाई पटेल और पीएम मोदी का विजन लगभग समान है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि सरदार पटेल द्वारा आजाद भारत में 560 से अधिक रियासतों को एक साथ लाने का दृढ़ संकल्प। पटेल के इसी कदम की वजह से भारतीय लोकतांत्रिक संघ की स्थापना हुई। वहीं, पीएम मोदी भी “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” अभियान के तहत सरदार पटेल के मूल सिद्धांतों को पूरी दृढ़ता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। 2019 में जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाना, पीएम मोदी की समान विचारधारा को दर्शाता है। पीएम मोदी के इस फैसले की वजह से एक राष्ट्र, एक संविधान और एक झंडा जैसा मंत्र पूर्ण हो सका।
अनुशासित, मजबूत प्रशासनिक सुधार सबसे अधिक जरूरी
जहां एक तरफ, सरदार पटेल अपने अनुशासित शासन के लिए जाने जाते थे। बता दें कि लौह पुरुष यानी सरदार पटेल को ही भारतीय सिविल सेवाओं का जन्मदाता कहा जाता है। वहीं, पीएम मोदी का डिजिटल इंडिया और सिविल सेवा मिशन कर्मयोगी से लेकर सुशासन दिवस की पहलों तक में बड़े बदलाव पीएम मोदी को भी उसी प्रशासनिक सुधार की तरफ झुकाव दिखाते हैं, जो सरदार पटेल के नैतिक और पारदर्शी मूल्यों को आगे बढ़ाता है।
राष्ट्रीय एकीकरण के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना
ऐसा माना जाता है कि सरदार पटेल का दूरगामी विजन सिर्फ राजनीतिक एकता तक सीमित नहीं था। बल्कि पटेल चाहते थे कि भारत में भौतिक और आर्थिक एकीकरण भी दिखाई दे। ऐसे में पीएम मोदी ने पटेल के अधूरे ख्वाब को पूरा करने का भरपूर प्रयास किया है। पीएम मोदी का भारतमाला, सागरमाला और वंदे भारत जैसे बड़े कदम उन्हें सरदार पटेल के विजन के करीब लाते हैं। इसके अलावा, पीएम मोदी ने साल 2018 में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के तौर पर दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति को स्थापित करवाया। इससे भारत की नई शुरुआत के तौर पर देखा गया।
सहकारी संघवाद को मजबूती देना
आजाद भारत के बाद जहां सरदार पटेल एक मजबूत भारत राष्ट्र का निर्माण करना चाहते थे। हालांकि, वह संघीय व्यव्स्था में भी यकीन रखते थे। उन्हीं मूल्यों को पीएम मोदी ने नीति आयोग, सहकारी संघवाद समेत कई केंद्रीय योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से लागू किया। यह साफ तौर पर पटेली की संघीय एकीकरण की सोच की ओर संकेत करता है।
आत्मनिर्भरता पर ज्यादा फोकस
लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल हमेशा से चाहते थे कि भारत आत्मनिर्भरता पर अधिक ध्यान दें। ऐसे में आज के समय में पीएम मोदी का आत्मनिर्भरता मिशन पूर्ण रूप से पटेल की विचारधारा और उनकी सोच से मेल खाती है। पीएम मोदी की मजबूत विदेश नीति और विदेशों पर कम निर्भरता पटेल की ऐतिहासिक विरासत को भारतीय नजरिए से वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने में काफी उपयोगी साबित हो रही है।
साल 2014 से हुई ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ मनाने की शुरुआत
आपकी जानकारी में वृद्धि करने के लिए बता दें कि लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को साल 2014 में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत हुई। ‘राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य मकसद नागरिकों में राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। ऊपर दी गई जानकारी केआधार पर कहा जा सकता है कि पीएम मोदी भी लौह पुरुष के नक्शेकदम पर चलकर भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाना चाहते हैं।






