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कलमा जानते थे, तभी आतंकियों के बंदूक की नोक से बचे प्रोफेसर! Pahalgam Terror Attack में सिलचर के इस परिवार की आपबीती रोंगटे खड़ा करेगी

असम के सिलचर में तैनात एक प्रोफेसर ने Pahalgam Terror Attack की आंखों देखी स्थिति और आपबीती साझा की है। प्रोफेसर ने बताया है कि उन्हें कलमा पढ़ना आता था, इसीलिए वो आतंकियों की चंगुल से बच सके। अथवा आतंकी उन्हें भी मौत के घाट उतार देते हैं।

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Pahalgam Terror Attack
Picture Credit: सोशल मीडिया (पहलगाम आतंकी हमले के बाद बचे प्रोफेसर दंपत्ति)

Pahalgam Terror Attack: एक से बढ़कर एक हैरान करने वाली बातें सामने आ रही हैं जिन्हें सुनकर लोगों के होश उड़ जा रहे हैं। अब आप सोचिए, कि कोई आतंकियों के बंदूक की नोक पर है और फिर कैसे भी तरकीब निकाल कर वो वहां से सुरक्षित बच जाता है। तो ऐसी स्थिति पर उस शख्स की आपबीती क्या रही होगी। ऐसा ही एक प्रोफेसर दंपति के साथ पहलगाम टेरर अटैक के दौरान हुआ। असम में स्थित सिलचर के रहने वाले प्रोफेसर दंपति पहलगाम में आतंकियों के बंदूक की नोक से सिर्फ इसलिए बच सके, क्योंकि प्रोफेसर को कलमा पढ़ना आता था। ये Pahalgam Terror Attack में मजहबी कनेक्शन को पुख्ता करने वाला मामला लगता है। कैसे कलमा पढ़कर प्रोफेसर ने अपनी जान बचाई होगी, उसे स्थिति की कल्पना आप कर सकते हैं।

Pahalgam Terror Attack में फंसे प्रोफेसर ने सूझ-बूझ से बचाई जान

शशांक चक्रवर्ती नामक एक्स हैंडल यूजर ने एक पोस्ट साझा की है। यूजर का दावा है कि असम के सिलचर का रहने वाला एक परिवार पहलगाम टेरर अटैक में आतंकियों से सिर्फ इसलिए बच सका क्योंकि उन्हें कलमा पढ़ना आता था। देबाशीष भट्टाचार्य पेशे से प्रोफेसर हैं, तो जाहिर तौर पर ज्ञान का भंडार उनके भीतर भी भरा होगा। उन्हें कलमा की जानकारी थी। यही वजह है कि पहलगाम पहुंचे प्रोफेसर आतंकियों के बंदूक की नोक के नीचे से बच निकले। उन्होंने आतंकियों को कलमा पढ़कर सुनाया और अपने परिवार को बचाते हुए एक सुरक्षित ठिकाने की ओर भाग गए। Pahalgam Terror Attack में फंसे प्रोफेसर की आपबीती उस दौरान क्या रही होगी, उसकी कल्पना मात्र करने से ही मन सिहर उठता है। हालांकि, विषम परिस्थिति में भी उन्होंने खुद को संभाले रखा और आतंकियों की गिरफ्त से बच निकले, इसको लेकर खूब चर्चा है।

पहलगाम टेरर अटैक में फंसे प्रोफेसर की आपबीती रोंगटे खड़ा करेगी

समाचार चैनल न्यूज 18 से बात करते हुए प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने Pahalgam Terror Attack की आंखों देखी स्थिति बयां की है। उन्होंने बताया कि “छिपे होने के दौरान मैंने सुना कि लोग कलमा पढ़ रहे हैं। मैं भी कलमा पढ़ने लगा। कुछ ही समय में एक आतंकी मेरी ओर बढ़ा और मेरे बगल में लेटे शख्स के माथे पर गोली मार दी। इसके बाद आतंकी मेरी ओर बढ़ा, लेकिन मैं जोर-जोर से कलमा पढ़ रहा था, तो वह मुड़कर लौट गया।” Pahalgam Terror Attack में फंसे प्रोफेसर ने फिर समय पाते ही अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर रवाना हो गए।

इस विभत्स दौर को याद करते हुए प्रोफेसर भट्टाचार्य को यकीन नहीं हो रहा था कि वो जिंदा हैं। उनके अलावा कई और पीड़ितों ने बताया है कि कैसे आतंकियों ने मजहब पूछ-पूछकर लोगों को मौत के घाट उतारने का काम किया। पहलगाम टेरर अटैक में फंसे प्रोफेसर भट्टाचार्य की आपबीती, वाकई रोंगटे खड़ा करने वाली है।

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