MK Stalin: तमिल से लेकर राजधानी दिल्ली तक के सियासी गलियारों में तीन-भाषा फॉर्मूले पर सियासत तेज हो गई है। इस पूरे प्रकरण में केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के एक बयान ने आग में घी का काम किया है। दरअसल, Dharmendra Pradhan ने बीते दिन सदन में सीएम एमके स्टालिन वाली गुट को कहा था कि “”वे बेईमान हैं और तमिलनाडु के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। वे राजनीति कर रहे हैं।” केन्द्रीय मंत्री के इस बयान से सियासी पारा चढ़ता नजर आ रहा है और चेन्नई से दिल्ली तक प्रदर्शन का दौर जारी है। DMK सांसदों ने भी आज कनिमोझी के नेतृत्व में धर्मेन्द्र प्रधान के खिलाफ प्रदर्शन किया है। सीएम MK Stalin के साथ डीएमके के अन्य तमाम सांसद तीन-भाषा नीति को अस्वीकार्य बताते हुए प्रदर्शन को गति दे रहे हैं।
तीन-भाषा नीति के खिलाफ MK Stalin के साथ DMK सांसदों ने संभाला मोर्चा
तल्ख अंदाज में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान पर अहंकार का आरोप लगाया है। तीन-भाषा नीति को लेकर केन्द्रीय मंत्री द्वारा दिए गए बयान पर एमके स्टालिन का कहना है कि तमिलनाडु के सांसदों को असभ्य कहकर उनका अपमान किया गया है। सीएम MK Stalin ने एनईपी और तीन-भाषा नीति को खारिज करते हुए दावा किया कि केंद्र तमिलनाडु के फंड को रोक रहा है। उन्होंने राज्य के उचित कर हिस्से को जारी करने की मांग करते हुए कहा कि तमिलनाडु अपने लोगों के लिए काम करता है, न कि नागपुर के आदेशों के लिए।”
डीएमके सांसद कनिमोझी का कहना है कि “केंद्र सरकार तमिलनाडु को दिए जाने वाले पैसे को रोक रही है, कह रही है कि हमें तीन-भाषा नीति और NEP पर हस्ताक्षर करना है। वे तमिलनाडु के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें तमिलनाडु के बच्चों के लिए मिलने वाले फंड को रोकने का कोई अधिकार नहीं है। कल धर्मेंद्र प्रधान ने बहुत ही अपमानजनक तरीके से जवाब दिया और कहा कि हम बेईमान हैं और तमिलनाडु के लोग असभ्य हैं। हम उनसे ऐसी भाषा बोलने की उम्मीद नहीं करते हैं। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। हम माफी की उम्मीद करते हैं।”
स्टालिन की पार्टी के एक अन्य सांसद तिरुचि शिवा का कहना है कि “धर्मेंद्र प्रधान का बयान भ्रामक है। हमने ऐसा कभी नहीं कहा, तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री ने पहले ही इसे स्पष्ट कर दिया है। हम आज काले कपड़े पहन रहे हैं और धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी की निंदा करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। यह अनैतिक और असंसदीय है। हम तीन-भाषा नीति के भी खिलाफ हैं। कोई भी इसे हम पर नहीं थोप सकता।”
कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम, कार्ती चिदंबरम व टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी धर्मेन्द्र प्रधान के बयान पर आपत्ति जताई है।
केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से खफा होने का कारण?
साक्षात्कार हो या सदन का पटल, केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान स्पष्ट कर चुके हैं कि एनईपी राज्यों पर हिंदी नहीं थोपेगी। धर्मेन्द्र प्रधान का कहना है कि सीएम MK Stalin और डीएमके के अन्य तमाम सांसदों के विरोध का कारण राजनीतिक है। धर्मेन्द्र प्रधान ने सदन में यहां तक कह दिया है कि DMK के एक अलोकतांत्रिक और असभ्य पार्टी है। बाद में उन्होंने अपने शब्द वापस लिए और उनके बयान को सदन के रिकॉर्ड से हटाया गया। हालांकि, इससे विपक्ष को एक मौका मिल गया और डीएमके के साथ विपक्ष के अन्य तमाम दल धर्मेन्द्र प्रधान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।