Tuesday, May 20, 2025
Homeख़ास खबरेंGuru Ramdas जयंती पर CM Bhagwant Mann ने दी प्रतिक्रिया, बधाई संदेश...

Guru Ramdas जयंती पर CM Bhagwant Mann ने दी प्रतिक्रिया, बधाई संदेश जारी कर कही ये खास बात

Date:

Related stories

Guru Ramdas: देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आज सिख पंथ के चतुर्थ गुरु, गुरु रामदास जी का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। इसे सरल भाषा में गुरु रामदास (Guru Ramdas) जयंती भी कह सकते हैं। ये खास अवसर सिख पंथ (Sikh Religion) से जुड़े लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दौरान लोग हरमंदिर साहिब, स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) या अन्य गुरुद्वारों में जाकर गुरु साहिब को नमन करते हैं।

गुरु रामदास जयंती के अवसर पर देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। इसी क्रम में पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (CM Bhagwant Mann) ने भी गुरु रामदास जयंती के अवसर पर अपनी खास प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने सिख समुदाय (Sikh Community) व अन्य लोगों के नाम बधाई संदेश जारी कर कहा है कि गुरु साहिब की बानी सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

Guru Ramdas जयंती पर CM Bhagwant Mann की प्रतिक्रिया

सिख पंथ के चतुर्थ गुरु, गुरु रामदास (Guru Ramdas) जी के जयंती के अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) की प्रतिक्रिया सामने आई है। सीएम मान के आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट जारी कर लिखा गया है कि “पवित्र नगरी श्री अमृतसर साहिब को बसाने वाले चौथे पातशाह धन धन साहिब श्री गुरु रामदास जी की जयंती (Guru Ramdas Jayanti) पर आप सभी को बधाई। बानी सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।” मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस संदेश के माध्यम से सभी लोगों को गुरु रामदास द्वारा दिखाए मार्ग पर चलने की अपील भी की है।

गुुरु रामदास- जीवन परिचय

गुरु रामदास (Guru Ramdas), सिख पंथ के चतुर्थ गुरु थे। उनका जन्म 1534 में लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ माना जाता है। उन्होंने रामसर को विदेशी आक्रमणकारियों से बचाया था और इसे अमृतसर नाम देकर बसाया जो कि आज सिख पंथ के लिए एक प्रमुख तीर्थ नगरी है। गुरु रामदास को 9 सितंबर 1574 को ‘चतुर्थ नानक’ की उपाधी दी गयी थी। गुरू रामदास द्वारा ही मसंद पद्धति की शुरुआत की गई जो कि आगामी समय में सिख समुदाय के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।

गुरु साहिब द्वारा किसी आनन्द कारज के लिए चार लावों (फेरों) की रचना की गई। उन्होंने सिख पंथ के लिए विलक्षण वैवाहिक पद्धति को मान्यता गी और अन्धविश्वास, वर्ण व्यवस्था आदि कुरीतियों का पुरजोर विरोध करते हुए लंगर प्रथा को आगे बढाया। अंतत: सन् 1581 में उनकी मौत होने का दावा किया जाता है।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

Latest stories