शुक्रवार, मई 3, 2024
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Sela Tunnel: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग का किया उद्घाटन, रक्षा और पर्यटन के हिसाब से क्यो है महत्वपूर्ण; जानें सबकुछ

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Sela Tunnel: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश में Sela Tunnel का उद्घाटन किया। सेला सुरंग उस सड़क पर स्थित है जो असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग से जोड़ती है। गैतरतलब है कि यह सुरंग 825 करोड़ रूपये की लागत से बनी है। तेजपुर को तवांग से जोड़ने वाली सड़क पर स्थित, यह समुद्र तल से 13700 फीट की ऊंचाई पर स्थित खतरनाक सेला दर्रे को बायपास करेगा।

यह सुरंग तवांग को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण धुरी है। यह सुरंग कई लिहाज से महत्वपूर्ण है। खबरों के मुताबिक इस सुरंग से महज 10 मिनट में चीन के बॉर्डर एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) तक पहुंच सकते है। इसके अलावा सुरंग तवांग देश से बाकी हिस्सों को जोड़ेगी, जिससे पर्यटन के बढ़ने की उम्मीद है।

Sela Tunnel का काम कब शुरू हुआ था ?

आपको बता दें कि Sela Tunnel की आधारशिला 9 फरवरी, 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी। इसका निर्माण कार्य 1 अप्रैल, 2019 को शुरू हुआ और पहला विस्फोट 31 अक्टूबर, 2019 को हुआ। सुरंग केवल पांच साल में बनकर तैयार हो गई है, कठिन इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति सहित सभी चुनौतियों को पूरा कर बीआरओ ने यह कामयाबी हासिल की है।

Sela Tunnel की क्या है विशेषताएं

●Sela Tunnel एक इंजीनियरिंग चमत्कार है जो अरुणाचल प्रदेश में सेला दर्रे के पार तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बनाई गई है।

●यह सुरंग चीन-भारत सीमा के साथ आगे के क्षेत्रों में सैनिकों, हथियारों और मशीनरी की तेजी से तैनाती करके एलएसी पर भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाएगी।

●सेला सुरंग उस क्षेत्र में सेना की आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा जहां भारत 1962 में एक कठिन युद्ध में चीन से हार गया था। अब भी चीन अरुणाचल प्रदेश पर संप्रभुता का दावा करता है जिससे अक्सर राजनयिक झगड़े होते हैं।

●इसे 13000 फीट से ऊंची दुनिया की सबसे लंबी ट्विन-लेन सुरंग कहा जाता है। इसमें दो सुरंगें हैं – 980 मीटर की सुरंग 1 और 1555 मीटर लंबी ट्विन ट्यूब सुरंग, जिसमें 8.6 किमी की पहुंच और लिंक सड़कें हैं।

●आपातकालीन स्थिति में, इस एस्केप ट्यूब का उपयोग बचाव वाहनों की आवाजाही और फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए किया जा सकता है।

10 मिनट में पहुंच सकेंगे चाइना बार्डर के पास

अरुणाचल प्रदेश में सड़क और रेल कनेक्टिविटी की कमी हमेशा से भारत के लिए नुकसानदेह रही है, चीन सीमा पर अपनी कमर कस चुका है, एलएसी के आसपास बेहतर बुनियादी ढांचा है, जिससे उसे रणनीतिक लाभ मिलता है। सेला पास के पहले मार्ग में केवल सिंगल-लेन कनेक्टिविटी थी,और जोखिम भरे इलाके के कारण भारी वाहन और कंटेनर ट्रक तवांग नहीं जा सकते थे।

लेकिन अब Sela Tunnel कई ऊंचाई वाले बुनियादी ढांचे में से एक है जिसे भारत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के करीब के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बना रहा है। इससे मौसम की परवाह किए बिना तवांग सेक्टर में आपात स्थिति में भारतीय सेना को तुरंत संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। यह सुरंग उस क्षेत्र में सेना की आवाजाही को सुविधाजनक बनाएगी जहां भारत 1962 के युद्ध में चीन से हार गया था।

टूरिज्म के लिहाज से क्यो है महत्वपूर्ण?

बता दें कि Sela Tunnel टूरिज्म के मामले में भी काफी अहम है। गौरतलब है कि सेला सुरंग उस सड़क पर स्थित है जो असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग से जोड़ती है। इसके अलावा यह सुरंग तवांग को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण धुरी है। माना जा रहा है कि देश के दूसरे इलाके से लोग यहां घूमने आएंगे। पहले पर्यटकों को तवांग आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन इस सुरंग के बनने के बाद अब यहां पर पहुचना आसान हो जाएगा।

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