Turkey Boycott: खुलकर भारत के खिलाफ क्या आए कि तबाही का दौर शुरू हो गया। यहां बात पाकिस्तान के नए दोस्त तुर्किए के संदर्भ में हो रही है। भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनातनी के बीच तुर्किए ने पाकिस्तान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया। अब यही हाथ बढ़ाना तुर्किए के लिए गले की फांस बनता नजर आ रहा है। स्थिति ये है कि राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे हैं और तुर्किए बायकॉट कॉल के साथ पर्यटन, आयात-निर्यात समेत कई चीजें प्रभावित हो रही हैं। पूरा लब्बोलुआब ये है कि इंडिया पाकिस्तान कॉन्फ्लिक्ट का दौर अब तुर्किए की ओर शिफ्ट हो चुका है। ऐसे में आइए हम आपको Turkey Boycott का आशय विस्तार से बताते हैं कि पाकिस्तान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना अर्दोआन को कितना भारी पड़ रहा है।
भारत में Turkey Boycott के बीच फंसे राष्ट्रपति Erdogan!
हालिया कई रिपोर्ट इसकी पुष्टि करते हैं। मालूम हो कि तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने पाकिस्तान को खुलकर समर्थन देने की बात कही। इसके बाद शहबाज शरीफ समेत अन्य कई पाकिस्तानी नेताओं ने तुर्किए के इस कदम का स्वागत किया। हालांकि, यहां समीकरण भारत के खिलाफ बन रहे थे, तो भारत में Turkey Boycott की बात शुरू हुई। देखते ही देखत भारत से तुर्किए जाने वाले पर्यटकों की संख्या में 70 फीसदी से ज्यादा गिरावट आ गई। Make My Trip की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 70 फीसदी से ज्यादा पर्यटकों ने इस बायकॉट कॉल के बीच तुर्किए जाना कैंसिल किया। इसके लिए फ्लाइ टकैंसिल हुई।
वहीं 42 प्रतिशत ऐसे पर्यटक नजर आए जिन्होंने तुर्किए को ठेंगा दिखाते हुए मिस्त्र, इंडोनेशिया, वियतनाम के साथ कंबोडिया, कजाकिस्तान, इजिप्ट, जॉर्डन और जॉर्जिया जैसे देश को चुना। अब आलम ये है कि भारत से पर्यटन के उद्देश्य से तुर्किए जाने वाले पर्यटकों की संख्या नाम मात्र रह गई है और तुर्किए बायकॉट का दौर जारी है। दावा किया जा रहा है कि तुर्किए को पाकिस्तान का समर्थन देने का खामियाजा आगे भी भुगतना पड़ेगा और आंतक के आका के साथ राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन भी इसकी कीमत चुकाएंगे।
भारत-तुर्किए के बीच आयात-निर्यात!
उस दौर को याद कीजिए जब तुर्किए में भूकंप के कारण विभत्स त्रासदी मची थी। उस दौरान पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रपति अर्दोआन को भर-भरकर मदद पहुंचाया था। हालांकि, अर्दोआन अपने दोस्त शहबाज शरीफ की तरह एहसान फरामोश निकले और भारत के खिलाफ चले गए। इस पूरे प्रकरण के बीच India-Turkey के आयात-निर्यात प्रभावित होने की आशंका बढ़ी।
पूर्व के आंकड़े देखें तो वर्ष 2023 में तुर्किए का कुल व्यापार 619.5 बिलियन डॉलर रहा था। इसमें निर्यात 255.8 बिलियन डॉलर और आयात 363.7 बिलियन डॉलर था। बात भारत के संदर्भ में करें तो तुर्किए ने 2023-24 में भारत के साथ 10.43 बिलियन डॉलर का व्यापार किया जो तुर्किए के कुल व्यापार का महज 1.68 फीसदी है। वहीं 2023-24 में भारत ने तुर्किए को 6.65 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया था, जो कि भारत के कुल निर्यात का 1.5 फीसदी है। इससे इतर भारत ने 3.78 बिलियन डॉलर का आयात भी किया था, जो कि महज 0.5 फीसदी है।
हालिया समत की बात करें तो अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक भारत ने तुर्किए से 5.2 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है, और करीब 2.84 बिलियन डॉलर का आयात किया है। Turkey Boycott कॉल के बीच ये आंकड़े प्रभावित हो सकते हैं जिसका खामियाजा राष्ट्रपति अर्दोआन को उठाना पड़ सकता है।
तुर्किए बायकॉट के बाद टूट सकती है अर्थव्यवस्था की कमर!
ये बातें यूं ही हवा में नहीं कही जा रही। इसके पीछे ठोस तर्क है। दरअस, तुर्किए भारत पर कई आवश्यक चीजों के लिए निर्भर है। इसमें खनिज ईंधन (पेट्रोल, डीजल), इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स (ऑटो पार्ट्स, मशीनरी), फार्मास्यूटिकल्स, कपास, टेक्सटाइल और केमिकल जैसे आवश्यक वस्तु शामिल हैं। रोजमर्रा से भरी जिंदगी में इन वस्तुओं का कितना महत्व है, ये बातें भला किससे छिपी हैं। ऐसे में यदि Turkey Boycott कॉल जारी रहा और भारत सरकार ने तनिक भी हाथ खींच लिए, तो तुर्किए की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो सकती है।