शुक्रवार, मई 30, 2025
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‘मुझे POK चाहिए ही चाहिए..’ जगद्गुरु Rambhadracharya ने आर्मी चीफ Upendra Dwivedi से कर दी ऐसी मांग की उड़ गई Pakistan की नींद; जानें पूरी डिटेल

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Upendra Dwivedi: जगद्गुरु रामभद्राचार्य की गिनती देश के महान गुरूओं में की जाती है, जिनसे कई नेता, राजनेता, बिजनेसमैन समेत दुनिया की कई बड़ी हस्तियां दीक्षा और आशीर्वाद लेने के लिए आते है। इसी बीच रामभद्राचार्य ने आर्फी चीफ Upendra Dwivedi से एक ऐसी मांग रखी दी है, जिससे हो न हो पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ सकती है। जानकारी के मुताबिक उपेंद्र द्विवेदी बीते दिन यानि बुधवार को चित्रकूट पहुंचे।

मालूम हो कि ये वही जगह है जिसे भगवान राम की तपोभूमि और धर्मनगरी कहा जाता है। सेना प्रमुख अपनी पत्नी के साथ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने जगद्गुरू Rambhadracharya से दीक्षा ली, दीक्षा यानी गुरु से आध्यात्मिक ज्ञान और मंत्र लेना। इसी बीच जगद्गुरू ने आर्मी चीफ से एक ऐसी मांग कर दी कि वह पर खड़े लोग भौचक्के हो गए। चलिए आपको बताते है पूरा मामला।

जगद्गुरू Rambhadracharya ने आर्मी चीफ Upendra Dwivedi से कर दी ये खास मांग

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जगद्गुरू Rambhadracharya ने कहा कि

“उन्होंने मुझसे वह राम मंत्र की दीक्षा ली, सीता जी से जो मंत्र लेकर हनुमान जी ने लंका पर विजय प्राप्त की थी, वही दीक्षा मैने दी, और मैने उनसे दक्षिणा मांगी है कि मुझे पीओके चाहिए, पाक अधिकृत कश्मीर हमे चाहिए ही चाहिए”। मान्यताओं के अनुसार हिंदु धर्म में अगर कोई गुरू दक्षिणा मांगता है तो शिष्य का वह फर्ज होता है कि वह किसी भी हद तक जाकर उन्हें पूरा करें। मालूम हो कि इससे पहले भी पीओके को भारत में लाने की लगातार मांग उठ रही है।

जगद्गुरू रामभद्राचार्य की मांग से पाकिस्तान की उड़ेगी नींद

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते लगातार खराब होते जा रहा है, ऑपरेशन सिंदूर के सदमे से अभी पाक उभर भी नहीं पाया था, कि उससे पहले ही जगद्गुरू रामभद्राचार्य ने आर्मी चीफ Upendra Dwivedi से दक्षिणा में पीओके मांग लिया है, हालांकि पीएम मोदी समेत देश के कई बड़े नेता लगातार कहते हुए आ रहे है कि पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है। वहीं अब जगद्गुरू की इस मांग के बाद पाक की नींद पूरी तरह से उड़ सकती है। आपको बताते चले कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक ब्राह्मण परिवार में Rambhadracharya की जन्म हुआ था। महज 2 महीने के बाद ही उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। बता दें कि उन्हें पद्मविभूषण से भी नवाजा जा चुका है, साथ ही उन्होंने कई ग्रंथ भी लिख डाले।

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