Sambhal Jama Masjid Case: बड़ी खबर ये है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में मुस्लिम पक्ष की सिविल रिवीजन पिटीशन को खारिज कर दिया है। इलाहाबाद HC के फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा? दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज संभल जामा मस्जिद केस पर फैसला आया है। HC ने साफ तौर पर ASI सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। एचसी ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिका सुनवाई के योग्य है और हम कमीशन की जांच में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। Sambhal Jama Masjid Case पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सुर्खियों का बाजार गर्म है और तमाम लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।
Sambhal Jama Masjid Case में इलाहाबाद HC से मिले झटका के बाद चर्चा तेज
तमाम दलीलों और पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए निचली अदालत द्वारा जारी आदेश को बरकरार रखा है। HC ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। ऐसे में ये स्पष्ट है कि संभल में जामा मस्जिद है या मंदिर, इसका मुकदमा लोअर कोर्ट में पहले की तरह चलता रहेगा। संभल जामा मस्जिद केस सुर्खियों का विषय बन गया है और कानूनी विशेषज्ञ अपने-अपने हिस्से की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने Sambhal Jama Masjid Case को लेकर कहा है कि “यह इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है। कानून की सीधी सी प्रस्तावना यह है कि न्यायालय आदेश 26, नियम 9 और 10 की शक्ति का प्रयोग करते हुए सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति कर सकता है। उस समय किसी की बात सुनने की जरूरत नहीं है। कानून का आदेश केवल इतना है कि जब सर्वेक्षण आयुक्त सर्वेक्षण के लिए मौके पर जाए तो वह दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वेक्षण करेगा। जिसका पालन यहां दोनों दिन यानी 19 और 24 नवंबर को किया गया। तो बड़े-बड़े बैरिस्टर और सांसदों ने न्यायालय की गरिमा और पक्षों की गरिमा पर जो टिप्पणियां की थीं।”
क्या Supreme Court का दरवाजा खटखटाएगा मुस्लिम पक्ष?
गाजियाबाद से आने वाले अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने Sambhal Jama Masjid Case को लेकर कहा है कि “जो भी सर्वे हुआ था, उसे पढ़कर रिकॉर्ड का हिस्सा बनाया जाएगा। अगर वे (मुस्लिम पक्ष) सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो हम उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं।” कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक यदि मुस्लिम पक्ष संभल जामा मस्जिद केस को गति देना चाहता है, तो उसके पास SC का दरवाजा खटखटाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में निकट भविष्य में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट का रुख करते देखा जा सकता है। हालांकि, अभी इसको लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं सामने आई है।