Supreme Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा किए गए टिप्पणी की नाबालिग के ब्रेस्ट को पकड़ना और पजामे का नाड़ा खोलना या किसी कोने में लेकर जाना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं है ने लोगों के बीच एक अलग ही रोष पैदा कर दिया। इस पर लगातार बवाल जारी है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। फिलहाल के लिए स्टे लगा दिया है और Allahabad High Court द्वारा दिए गए इस फैसले को लेकर Supreme Court ने माफी की भी मांग की है। इसके साथ ही कहा गया कि यह टिप्पणी पूरी तरह से असंवेदनशीलता को दर्शाती है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने जताया दुख
Supreme Court ने अपने बयान में कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 24,25 और 26 जज की असंवेदनशीलता को दर्शाता है जहां यह कहा गया कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और पजामे का नाड़ा तोडना या किसी लड़की को कोने में लेकर जाना रेप या रेप की कोशिश नहीं है। फिलहाल के लिए इस फैसले पर रोक लगा दी गई है। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा और फैसला देने वाले न्यायाधीश की असंवेदनशील रवैये को दिखाता है और हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पीड़िता की वकील ने दी जानकारी
बता दे कि इस मामले में पीड़िता की मां की वकील रचना त्यागी ने कहा, “आज Supreme Court ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 17 मार्च के फैसले पर संज्ञान लिया गया है जहां एक नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट को छूना और लोअर ड्रेस को भी खोला गया या लड़की को कोने में ले जाया गया फिर भी Allahabad High Court के फैसले ने इसे रेप मानने से इनकार कर दिया। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और इसे और संवेदनशील करार दिया है।”
अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी पर इस दिन होगा फैसला
वकील ने बताया कि इस बारे में केंद्र, उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही Allahabad High Court को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि फैसला तुरंत का तुरंत सुनाया गया इसके लिए 4 महीने का समय लिया गया। फैसले को रखा गया था। ऐसे में या निश्चित तौर पर यह असंवेदनशीलता है। इसके साथ ही Supreme Court ने कहा है कि इस पर दो हफ्ते बाद मंगलवार को सुनवाई की जाएगी।