CBSE Dummy School: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ‘डमी’ स्कूलों के खिलाफ एक्शन में नजर आ रहा है। बोर्ड ऐसे स्कूलों के खिलाफ एक्शन लेने के मूड में दिख रहा है, जहां छात्रों का नामांकन तो होता है, लेकिन सिर्फ परीक्षा के लिए। यानी ऐसे छात्र जो इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षा की तैयारी के लिए दूसरे राज्यों में कोचिंग लेते हैं और अपने गृहनगर स्थित CBSE Dummy School में एडमिशन ले लेते हैं, ताकि उन्हें 12th Class में शामिल होने के लिए नियमित रूप से स्कूल न जाना पड़े। CBSE की नई गाइडलाइन्स ने इन छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अधिकारियों ने कथित तौर पर चेतावनी दी है कि ऐसे छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने से रोका जा सकता है, जिसमें नियमित उपस्थिति और शैक्षणिक नियमों के अनुपालन की जरूरत पर जोर दिया गया है।
CBSE का Dummy School के खिलाफ कड़ा एक्शन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अकादमिक अखंडता बनाए रखने के लिए ऐसे छात्रों को बोर्ड परीक्षा से रोकने समेत सख्त कदम उठाने पर विचार कर रहा है। सीबीएसई अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि, नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होने वाले छात्रों को Board Exam पंजीकरण की सुविधा देने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, अगर ऐसी गतिविधियों में शामिल स्कूल दोषी पाए जाते हैं, तो उनकी मान्यता रद्द करने समेत सजा निर्धारित करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इससे भविष्य में CBSE Dummy School के मामलों पर रोक लगेगी। बोर्ड का माननाहै कि छात्रों के समग्र विकास के लिए स्कूल की गतिविधियों में उपस्थिति और सक्रिय भागीदारी जरूरी है और बोर्ड इस पर कड़ी नजर रखने वाला है।
CBSE ने इन स्कूलों के खिलाफ की कार्रवाई
मालूम हो कि इस साल जनवरी में यानी दो महीने पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने संबद्धता उपनियमों का उल्लंघन करने के लिए देश के 29 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। खबरों के मुताबिक पिछले साल दिसंबर में CBSE द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में नामांकन में बड़ी अनियमितताएं पाई गईं थीं। जिसमें पंजीकृत छात्रों और वास्तविक उपस्थिति के बीच विसंगतियां देखी गईं थीं। साथ ही शैक्षणिक और ढांचागत मानकों का पालन नहीं होता देखा गया था।
इसमें बिहार, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ के Schools का नाम सामने आया था। जिसके बाद सीबीएसई ने दोषी स्कूलों को 30 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा CBSE ने चेतावनी दी थी कि परीक्षा दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों को बोर्ड परीक्षा आयोजित करने पर दो साल के प्रतिबंध जैसे गंभीर दंड का सामना करना पड़ सकता है। इसे लेकर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कहा कि यह कार्रवाई अकादमिक अखंडता बनाए रखने और बोर्ड के नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने की सीबीएसई की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।