Delhi NCR Earthquake: सोमवार की सुबह 5.36 बजे लोग अन्य दिनों की तरह अपने बिस्तर से उठकर पार्कों में टहलने जाने की तैयारी कर रहे थे। तभी अचानक लोगों की चीखें कानों में पड़ने लगीं। हमारी नजर घर में लगे पंखों पर पड़ी। पंखा बिना बिजली के काफी हिल रहा था। शरीर में अजीब सा कंपन हो रहा था। बिस्तर अचानक अपनी जगह पर हिलता रहा। ये बातें दिल्ली के भजनपुरा में रहने वाले मुकुंद कुमार चौधरी ने बताई हैं।
दिल्ली भूकंप को लेकर उठे सवाल
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि हम सभी परिवार के लोगों को घर से बाहर आने के लिए बुलाने लगे। कुछ ही पलों में सभी लोग सड़क पर थे। लोगों की आवाजें हमें डर के साये में जीने पर मजबूर कर रही थीं। इसके बाद जैसे ही स्थिति सामान्य हुई हम सभी घर लौट आए। अभी मैं ऑफिस जाने की तैयारी कर रहा हूं। लेकिन टेलीफोन पर बात करते हुए उन्होंने एक सवाल साझा किया। उनका कहना है कि उन्हें समझ नहीं आया Delhi NCR Earthquake के झटके 4.2 की तीव्रता से आए थे। इसके बाद इतना कंपन क्यों हुआ?
इतने भूकंप क्यों आते हैं?
मुकुंद कुमार चौधरी का सवाल इस समय प्रासंगिक है। यह सवाल सिर्फ उनके मन में ही नहीं उठ रहा है बल्कि ऐसे कई लोग होंगे जो इसका जवाब तलाश रहे होंगे। आइए जानते हैं कि रिक्टर स्केल पर 4.2 तीव्रता का भूकंप इतना कंपन क्यों पैदा करता है? जानकारी हो कि भूकंप एक प्राकृतिक घटना है। जो धरती की सतह के हिलने के बाद कंपन के रूप में महसूस होता है। धरती की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों में बंटी हुई है।
पृथ्वी के नीचे टकराती हैं ये प्लेटें
बता दें कि ये प्लेटें धीमी गति से लगातार चलती रहती हैं। इस दौरान जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, रगड़ती हैं या एक दूसरे के नीचे खिसकती हैं तो तनाव पैदा होता है। जब यह तनाव एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है तो चट्टानें टूट जाती हैं और बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो भूकंप का कारण बनती है।
दिल्ली में Earthquake की तीव्रता इतनी ज्यादा क्यों?
मालूम हो कि दिल्ली में कई फॉल्ट लाइन हैं, जो धरती की सतह पर दरारें हैं। जब इन फॉल्ट लाइनों पर दबाव जमा होता है, तो भूकंप आता है। दिल्ली में आज आया Earthquake इन फॉल्ट लाइनों में तनाव का नतीजा हो सकता है। इसके अलावा दिल्ली की मिट्टी रेतीली और जलोढ़ है। जो भूकंप के दौरान अस्थिर हो सकती है। इससे इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए कहा जाता है कि अगर दिल्ली में तेज भूकंप आता है तो इससे भारी नुकसान हो सकता है।
Delhi Earthquake की तीव्रता पर विशेषज्ञों की राय
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली जैसे शहरों में जब भूकंप का केंद्र होता है तो मैदानी इलाकों की तुलना में झटके ज़्यादा महसूस किए जाते हैं। इसके पीछे उनका तर्क यह रहा है कि मैदानी इलाकों की तुलना में भूकंपीय तरंगों को किसी संरचना या इमारत तक पहुँचने के लिए बहुत कम दूरी तय करनी पड़ती है। वे इसे दिल्ली जैसे शहरों में भूकंप के दौरान कंपन बढ़ने का मुख्य कारण मानते हैं।