Karnataka Politics: दक्षिण में सियासी उठा-पटक का दौर जारी है। चुनाव की दहलीज पर खड़े तमिलनाडु में जहां एक ओर सत्ता-विपक्ष आमने-सामने हैं। वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर संग्राम मचा है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार गुट के विधायक कथित वादे को लेकर अड़ गए हैं। सत्ता परिवर्तन के 2.5 साल फॉर्मूले का जिक्र कर विधायक अब डीके शिवकुमार की ताजपोशी की मांग कर रहे हैं।
विधायकों के एक गुट का ये रुख कांग्रेस आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा रहा है। वहीं सीएम सिद्धारमैया मजबूती से अपनी कुर्सी जकड़ कर 5 वर्ष पूरा करने की बात कर रहे हैं। ऐसे उठा-पटक के बीच सवाल है कि क्या कर्नाटक में कांग्रेस टूट की कगार पर खड़ा है? क्या डीके शिवकुमार बगावत कर सकते हैं? आइए इन सवालों का जवाब देते हुए कर्नाटक पॉलिटिक्स के हालिया घटनाक्रम को समझने की कोशिश करते हैं।
नेतृत्व परिवर्तन पर डीके शिवकुमार कैंप के रुख से चिंता में आलाकमान!
कांग्रेस आलाकमान की मुश्किलें फिर एक बार बढ़ती नजर आ रही हैं। इसकी प्रमुख वजह है डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार कैंप के विधायकों की मांग। खबरों की मानें तो डीके शिवकुमार के समर्थक अब उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। विधायकों का एक गुट मई 2023 में हुए सत्ता परिवर्तन फॉर्मूले का जिक्र कर रहा है। विधायकों का कहना है कि जब 2023 में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब सिद्धारमैया को 2.5 साल के लिए सीएम बनाया गया था।
शेष 2.5 वर्ष के लिए डीके शिवकुमार को सीएम बनाने का वादा किया गया था जिससे अब पलटा जा रहा है। इस उठा-पटक के बीच विधायकों के एक गुट की दिल्ली पहुंचने की खबर भी सामने आई जिसने सियासी सरगर्मी तेज कर दी। इसी दौर में आज डीके शिवकुमार खुद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले हैं। कर्नाटक की सियासत में उपज रहे ये समीकरण कांग्रेस आलाकमान की मुश्लिकें बढ़ा रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी समेत अन्य शीर्ष नेता कैसे इस चुनौती से पार पाते हैं।
क्या Karnataka Politics में टूट की कगार पर खड़ी कांग्रेस?
ये बड़ा सवाल है जिसका जवाब भविष्ट के गर्भ में है। दरअसल, कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग जोरों पर है। टिप्पणीकारों व की अन्य मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सूबे में 2.5 वर्ष बाद नेतृत्व परिवर्तन का वादा हुआ था जिसकी मांग अब जोर पकड़ रही है। दोनों खेमा की ओर से दबाव बढ़ाए जा रहे हैं। इससे पूर्व राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सचिन पायलट की बगावत देखी जा चुकी है। यही वजह है कि कर्नाटक के संदर्भ में भी सवाल उठ रहे हैं।
हालांकि, अभी ये कहना कि डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी तोड़ सकते हैं, थोड़ी जल्दबाजी होगी। हां ये जरूर है कि डिप्टी सीएम का खेमा अब कथित रूप से किए गए वादे के मुताबिक उन्हें सीएम की कुर्सी पर देखना चाहता है। लेकिन इसके लिए पार्टी तोड़ेंगे इसकी संभावना नाम मात्र भी नहीं है। हालांकि, सियासत संभावनाओं का खेल है। ऐसे में कब क्या हो जाए किसे पता। यही वजह है कि सभी बारीक नजर जमाए कर्नाटक की राजनीति में जारी उथल-पुथल का आनंद लेते हुए निष्कर्ष का इंतजार कर रहे हैं।






