मंगलवार, मई 7, 2024
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National Sports Day: जानिए कौन थे मेजर ध्यानचंद, जिनके मैदान में कदम रखने से छूट जाते थे विरोधियों के पसीने

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National Sports Day: 29 अगस्त यानी यानी राष्ट्रीय खेल दिवस। इस दिन खेल जगत की उस शख्सियत ने जन्म लिया था जिनके खेल को देखकर हर कोई हैरान रह जाता था। गेंद एक बार उनके पास आती थी तो ऐसा लगता था कि अब उनको गेंद से कोई अलग नहीं कर सकता।

कौन थे हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद?

साल 1905 में आज ही के दिन खेल जगत की उस शख्सियत ने जन्म लिया था जिसने अपने खेल से हर किसी को दीवाना बना लिया था। उनका खेल देखकर ऐसा प्रतीत होता था जैसे हॉकी का खेल उन्हीं के लिए बना हो। मेजर ध्यानचंद हॉकी के वह खिलाड़ी थे जिन्होंने भारत को ओलिंपिक में तीन बार गोल्ड मेडल दिलाया। मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 में इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने 16 साल की उम्र में भारतीय सेना को ज्वाइन किया था। उनका योगदान भारतीय हॉकी में बहुत बड़ा था। और उनका खेल ऐसा जो एक बार देखे बढ़ देखते ही रह जाए। गेंद एक बार उनके पाले में आए तो दूर ना जाए।

मेजर ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था। रात को चंद्रमा की रौशनी में अभ्यास करने के कारण उनका नाम ध्यानचंद पड़ गया। ध्यानचंद ने सेना की तुरु से रेजिमेंटल मैच खेलते हुए 1922 से 1926 के बीच सभी को होने दमदार खेल से आकर्षित किया। इस शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें न्यूजीलैंड के दौरे के लिए चुना गया था। इस दौरे पर भारतीय सेना की टीम ने 18 मैचों में जीत हासिल की। इस दौरे के बाद ध्यानचंद को अलग पहचान मिलनी शुरु हो गई।

हिटलर को भी अपने खेल से किया था दीवाना

मेजर ध्यानचंद ने भारत के लिए 1928, 1932 और 1936 में ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन किया था। साल 1936 में भारत ने जर्मनी को फाइनल में 8-1 से रौंदा था। यह हार तानाशाह हिटलर से बर्दाश्त नहीं हुए जिसके बाद वे उठकर स्टेडियम से बाहर चला गया था। उस मैच में ध्यानचंद ने अकेले तीन गोल दागे थे। उनके इस लाजवाब खेल को देखकर हिटलर ने मैच के बाद उनसे पूछा कि तुम हॉकी खेलने के अलावा क्या करते हो? तब उन्होंने ने बताया, मैं भारतीय सैनिक हूं। इसके बाद हिटलर ने उन्हें जर्मन की सेना में भर्ती होने का ऑफर दिया था, जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया था।

मेजर ध्यानचंद की जयंती को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका खेल में अहम योगदान रहा जिसके चलते उन्हें पद्मा भूषण से भी सम्मानित किया गया था। उनके नाम से दिल्ली में हॉकी स्टेडियम भी है जिसे मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम से भी जाना जाता है।

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DNP न्यूज़ डेस्क
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