Artificial Intelligence: दुनिया में अगर सबसे तेजी से बढ़ रहा है, तो वो है एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस। जी हां, एआई ने अपने पैर इतने तेज गति से आगे बढ़ाएं हैं कि अब हर सेक्टर में एआई का दमखम नजर आता है। एआई के जरिए अब सिर्फ कविता या कहानी ही नहीं लिखवाई जाती है। बल्कि, एआई अब विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान देने के लिए तैयार हो रहा है। माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के प्रमुख पीएचडी, पीटर ली ने कहा, ‘वैज्ञानिक खोज एआई के सबसे महत्वपूर्ण प्रयोगों में से एक है। हमारा मानना है कि जनरेटिव एआई की इंसानी भाषा सीखने की क्षमता, क्रिस्टलों, जीनोम और प्रोटीन सहित प्रकृति की भाषाओं को सीखने की क्षमता के बराबर है।’
Artificial Intelligence एनर्जी सेक्टर में दे रहा अहम योगदान
आज के टाइम में जहां सारी दुनिया एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ तेजी से आगे चलना चाहती है। ऐसे में एआई का लगातार विकास इंसानों को उस जगह तक पहुंच सकता है, जहां पहुंचने के लिए कुछ साल पहले नामुमकिन लगता था। ऐसा ही एक सेक्टर है एनर्जी का। दरअसल, Microsoft की रिपोर्ट के मुताबिक, एनर्जी सेक्टर में एआई वरदान की तरह साबित हो सकता है। एआई एनर्जी के प्रोडक्शन, भंडारण और उपयोग में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। एआई वर्तमान समय में एनर्जी निर्माण के सिस्टम को बेहतर कर रहा है। साथ ही नए सिस्टम को तैयार भी कर रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का यूज करके माइक्रोसॉफ्ट और निसान ने किया कमाल
Microsoft की रिपोर्ट के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट ने निसान मोटर कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर Artificial Intelligence की एक मशीन लर्निंग तकनीक पर काम शुरू किया है। इस अहम प्रोजेक्ट के तहत मशीन लर्निंग तकनीक इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के खराब होने का सटीक अनुमान लगाती है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी को फिजिकल तौर पर चेक करने का टाइम बच जाता है। इसके साथ ही यह भी मदद मिलती है कि किन बैटरियों को रिसाइकिल किया जा सकता है।
क्या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस न्यूक्लियर पावर सिस्टम बेहतर कर सकता है?
माइक्रोसॉफ्ट की रिपोर्ट के अनुसार, Artificial Intelligence न्यूक्लियर पावर सिस्टम के विकास को भी बढ़ावा दे रहा है। एआई में भविष्य में लोगों को क्लीन एनर्जी का टारगेट हासिल करने में काफी मदद मिल सकती है। इतना ही नहीं, एआई न्यूक्लियर पावर से निकलने वाली एनर्जी को पावर ग्रिड तक जल्दी पहुंचाने के लिए नए रिएक्टर के डिजाइन में भी मदद कर रहा है। ऐसे में दुनिया को आने वाले वक्त में बेहतर और एडवांस न्यूक्लियर पावर सिस्टम देखने को मिल सकता है।