Ratlam Viral Video: मध्य प्रदेश के रतलाम से एक ऐसी खबर सामने आ रही है, जिसने सबको झकझोंर दिया है। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए है। दरअसल Ratlam Viral Video सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है, जहां एक पति अपनी गर्भवती पत्नी को ठेले पर लिटाकर अस्पताल ले जाता दिख रहा है। जिसके बाद अब अस्पताल प्रशासन पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं किया गया, चलिए बताते है कि क्या है पूरा मामला।
Ratlam Viral Video जमकर हो रहा है वायरल
आपको बता दें कि Ratlam Viral Video को Rajesh Sahu नाम के एक एक्स यूजर ने अपने हैंडल से शेयर किया है। इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सैलाना के कालिका माता मंदिर रोड निवासी कृष्णा ग्वाला अपनी गर्भवती पत्नी को ज्यादा लेबर पेन होने के बाद सामुदिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचा था। इस दौरान वहां पर मौजूद नर्स ने दंपति को यह कहकर वापस भेज दिया कि अभी डिलीवरी में टाइम है। इसके बाद पत्नी को दुबारा दर्द होने के बाद पति फिर अस्पताल पहुंचा लेकर नर्स ने दुबारा उसे वापस कर दिया।
जैसे ही दोनों घर पहुंचे करीब एक घंटे बाद पत्नी को तीसरी बार लेबर पेन हुआ, आनन फानन में पति ठेले पर ही अपनी पत्नी को अस्पताल की तरह चल दिया, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
मौके पर ही नवजात ने तोड़ा दम
बता दें कि अपनी पूरी ताकत से कृष्णा ग्वाला ठेला गाड़ी पर अपनी गर्भवती पत्नी को लिटाकर अस्पताल की तरफ दौड़ा, लेकिन बीच रास्ते में ही डिलीवरी हो गई। रात करीब 3 बजे जब व्यक्ति अस्पताल पहुंचा तो नवजात का पैर बाहर था और सिर अंदर था। जैसे तैसे डॉक्टर और नर्स ने मिलकर नवजात को बाहर निकाला, लेकिन वह नवजात बच नहीं सका। जिसके बाद कृष्णा ग्वाला ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए है। वहीं Ratlam Viral Video सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है।
Ratlam Viral Video पर लोगों ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
बताते चले कि इस Ratlam Viral Video पर लोग जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है। एक यूजर ने लिखा कि
“हॉस्पिटल पर क्या करवायी हुई। उन पर बच्चों की हत्या का केस हो”। वहीं एक और यूजर ने लिखा कि
“सरकारी अस्पताल जीता जगता कसाई खाना हैं।। यही भारत की सच्चाई है।और नेता मंत्री अधिकारी के दावे सिर्फ झूठ हैं।। सरकारें कोई हो दशा यही है। मैं 2016फर में यूपी के सैफई मेडिकल कालेज का भुक्तभोगी हूं।डॉक्टर को अस्पताल में बैठने टाइम ही नहीं होता”। हालांकि इसे लेकर अस्पताल प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।