Ishaq Dar: जरा सी सख्ती क्या हुई कि पाकिस्तान की छटपटाहट साफ तौर पर झलकने लगी है। भारत के कई मोर्चो पर मुंह की खा चुका पाकिस्तान, अब गीदड़भभकी दे रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ईशाक डार तो इस फेहरिस्त में कोसो आगे निकल गए और आनन-फानन में शिमला एग्रीमेंट का जिक्र कर दिया। जिक्र भी ऐसा-वैसा नहीं, बल्कि सीधे समझौता खत्म करने की धमकी। सवाल है कि क्या विदेश मंत्री Ishaq Dar की गीदड़भभकी जंक का संकेत है? ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि भारत-पाकिस्तान के बीच सन् 1972 में हुए Shimla Agreement के कई खास मायने हैं। यदि शिमला एग्रीमेंट को खत्म करने की जुर्रत पाकिस्तान की ओर से की गई, तो इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है। ऐसे में आइए हम आपको शिमला एग्रीमेंट के मायने बताने की कोशिश करते हैं।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री Ishaq Dar ने दी Shimla Agreement को खत्म करने की दी धमकी!
बगैर किसी लाग-लपेट के ये कहा जा सकता है कि यदि शिमला एग्रीमेंट पर आंच भी आई, तो तांडव देखने को मिल सकता है। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसके लिए आपको शिमला एग्रीमेंट के बारे में समझना जरूरी है। अतीत के पन्ने पलटेंगे तो 2 जुलाई 1972, को भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ ये समझौता ज्ञात होगा। आज पहलगाम आतंकी हमला के बाद पाकिस्तानी डिप्टी पीएम व विदेश मंत्री ईशाक डार ने इसका जिक्र किया है, तो यह समझना और भी जरूरी है।
Shimla Agreement के तहत भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने कई समझौते पर हस्ताक्षर किया था। मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना, युद्धबंदियों की रिहाई, कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय बनाए रखना और सीमा पर लाइनों को यथास्थिति में बनाए रखना शिमला एग्रीमेंट की प्रमुख बाते हैं। आज जब Ishaq Dar ने इस समझौते को तोड़ने की बात कही है, तो कई तरह की संभावना व्यक्त की जा रही है।
भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों पूर्व हुए शिमला एग्रीमेंट के मायने?
इसके मायने वो शख्स बहुत अच्छे से समझता है जिसकी दिलचस्पी IR में है। यदि Ishaq Dar ने शिमला एग्रीमेंट को खत्म करने पर मोहर लगाई, तो भारत-पाकिस्तान के बीच कई बंदिशे तत्काल रूप से समाप्त हो जाएंगी। ईशाक डार के कदम का असर ये हो सकता है कि शिमला समझौता खत्म होते ही पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को जोर-सोर से संयुक्त राष्ट्र या दुनिया के अन्य देशों के सामने उछाल सकता है। इसके अलावा LoC पर संघर्षविराम की स्थिति शांति भंग हो सकती है। बॉर्डर पर पाकिस्तानी सेना की नापाक गतिविधियां शुरू हो सकती हैं। इतना ही नहीं, Shimla Agreement को खत्म करना जंग को दावत देने के बराबर है जिसके बाद स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे में चुनौतियां दोनों देशों के समक्ष आने की आशंका है।