Thursday, October 24, 2024
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US Religious Report: विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भारत पर लगाए गंभीर आरोप, विदेश मंत्रालय ने दिय था जवाब

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India-China Relations: रूस के कजान (Kazav) शहर में आयोजित BRICS Summit 2024 में आज का दिन भारत के लिए बेहद खास रहा है। दरअसल आज भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई है।

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US Religious Report: अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर एक बार फिर भारत गंभीर आरोप लगाएं है। आपको बता दें कि अमेरिकी विदेश विभाग की तरफ से यह रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमे कहा गया है कि भारत में हम धर्मांतरण विरोधी कानूनों, हेट स्पीच, अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के घरों और पूजा स्थलों के विध्वंस में चिंताजनक वृद्धि देख रहे हैं। हालांकि भारत ने इससे पहले भी इस संगठन की कड़ी आलोचना की थी, उसे फिर से उठाया है। इसके अलावा विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने वार्षिक रिपोर्ट जारी करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका गाजा युद्ध के कारण यहूदी विरोधी भावना और इस्लामोफोबिया का सामना कर रहा है।

एंटनी ब्लिकंन ने क्या कहा?

विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आज, विदेश विभाग अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी कर रहा है… विभाग की रिपोर्ट लगभग 200 देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए इस प्रकार के खतरों पर नज़र रखती है। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून असहिष्णुता और घृणा के माहौल को बढ़ावा देने में मदद करता है जो निगरानीकर्ताओं और भीड़ की हिंसा को जन्म दे सकता है। भारत में, हम धर्मांतरण विरोधी कानूनों, घृणास्पद भाषण, घरों और पूजा स्थलों के विध्वंस में चिंताजनक वृद्धि देख रहे हैं।

अल्पसंख्यक आस्था वाले समुदायों के सदस्यों के लिएआज भी दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान नहीं किया जाता है। कुछ देश कुछ विशेष प्रकार की धार्मिक पोशाक पहनने पर प्रतिबंध लगाते हैं; अन्य लोग इसे लागू करते हैं। यहाँ संयुक्त राज्य अमेरिका में, मुसलमानों और यहूदियों दोनों को निशाना बनाकर घृणा अपराधों और अन्य घटनाओं की रिपोर्टें नाटकीय रूप से बढ़ गई हैं।

भारत ने रिपोर्ट को किया था खारिज

आपको बताते चले कि पिछले साल भारत ने भारत पर विदेश विभाग की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और कहा था कि यह “गलत सूचना और त्रुटिपूर्ण समझ” पर आधारित है। इसके अलावा भारत ने जवाब देते कहा था कि “कुछ अमेरिकी अधिकारियों द्वारा प्रेरित और पक्षपातपूर्ण टिप्पणी केवल इन रिपोर्टों की विश्वसनीयता को और कमजोर करने का काम करती है”। हालांकि कई राजनीतिक विशलेषज्ञों का मानना है कि नई दिल्ली के साथ वाशिंगटन के घनिष्ठ आर्थिक संबंधों और चीन का मुकाबला करने के लिए बिडेन प्रशासन के लिए रणनीतिक महत्व के कारण भारत की अमेरिका द्वारा आलोचना आम तौर पर नियंत्रित होती है।

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