सोमवार, सितम्बर 29, 2025
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RBI Monetary Policy Meeting: ट्रंप टैरिफ के बीच रेपो रेट 5.5 प्रतिशत बरकरार; खुदरा महंगाई दर को लेकर आरबीआई गवर्नर Sanjay Malhotra का बड़ा बयान

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RBI Monetary Policy Meeting: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर जुर्माना के साथ 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया था। माना जा रहा था कि इसका असर RBI Monetary Policy Meeting में देखने को मिल सकता है। हालांकि आरबीआई गवर्नर Sanjay Malhotra ने रेपो दर को 5.5% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। यानि रेपो रेट में किसी तरह का कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। इसके अलावा संजय मल्होत्रा ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर भी अहम जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि “मध्यम अवधि में, बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल हैं, जो अपनी अंतर्निहित शक्तियों का लाभ उठा रही है”।

वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी ग्रोथ कितना रह सकता है?

बुधवार को RBI Monetary Policy Meeting की घोषणा करते हुए, आरबीआई गवर्नर Sanjay Malhotra ने कहा कि कें”द्रीय बैंक अनुकूल व्यापक आर्थिक परिस्थितियों के समर्थन से घरेलू गतिविधियों में लचीलापन देख रहा है”। गवर्नर ने कहा, “हालांकि, चल रही टैरिफ घोषणाओं और व्यापार वार्ताओं के बीच बाहरी मांग की संभावनाएँ अनिश्चित बनी हुई हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, चालू वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो हमारा पूर्व अनुमान था।” तिमाही अनुमानों का विश्लेषण करते हुए, आरबीआई ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

RBI Monetary Policy Meeting मूल्य सूचकांक वित्त वर्ष 2026 में कितना रहेगा?

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा, “2025-26 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति अब 3.1% रहने का अनुमान है, जो पहले के 3.7% के अनुमान से कम है।” 2025-26 की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति 4% से ऊपर जाने की संभावना है।

वर्ष के दौरान मुख्य मुद्रास्फीति 4% से थोड़ा ऊपर रहने की संभावना है। 2025-26 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति अब 3.1% रहने का अनुमान है, जो पहले के 3.7% के अनुमान से कम है।” यानि यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रंप टैरिफ के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछ ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद कम है।

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