मंगलवार, अप्रैल 23, 2024
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सपा सुप्रीमो Akhilesh ने सवर्णों से बनाई दूरी, 2024 में ओबीसी-मुस्लिम कार्ड से मैदान मारने की कर रहे तैयारी

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Akhilesh Yadav: लोकसभा 2024 (General Election 2024) को सभी दलों ने अपनी अपनी कमर कस तैयारी शुरू कर दी है। सभी की नजर देश की सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश पर लगी हैं, क्योंकि दिल्ली की सत्ता का ताला यूपी की चाबी से ही खुलता है। विधान परिषद सीटों के मतदान के तुरंत बाद यूपी की प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का एलान करके 2024 के रण की संगठनात्मक तैयारी की झलक दिखा दी है। नई कार्यकारिणी की संरचना को देखें तो पता चल जाता है कि अखिलेश यादव ने सवर्णो से पूरी तरह दूरी बना ली है और एक भी सवर्ण को सूची में स्थान न देकर बाकी सभी पर दांव लगा दिया है। लेकिन अब उनके फैसलों पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

क्या सवर्णो को दरकिनार करना भारी पड़ेगा

आपको बता दें समूचे उत्तर प्रदेश में 19%वोट अकेला सवर्णो का है उसमें भी 11 प्रतिशत ब्राह्मण वोट है 6% क्षत्रिय वोट है। हालांकि 41% वोट सर्वाधिक ओबीसी जातियों का अकेले है। उसके बाद 21प्रतिशत वोट एससी वर्ग का तो मुस्लिम वोट भी सवर्ण वोट के बराबर 19% ही है। तो ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव जिन्होंने पिछले राज्य विधानसभा चुनाव में भगवान परशुरामजी जी के नाम पर सवर्णों को पूरे चुनाव लुभाया था, क्या इस बार पार्टी में सवर्ण नेताओं के विरोध का सामना करने को तैयार है? या फिर योगी अदित्य के 80:20 वाले फॉर्मूले को पलटकर नया फॉर्मूला बनाने का प्रयास है।

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कौन कौन है कार्यकारिणी में

कार्यकारिणी में नए नामों में एक भी सवर्ण नाम नही है। अखिलेश ने इस कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष, प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय महासचिव तथा अन्य राष्ट्रीय सचिवों का चयन किया है सपा ने इस बार 14 नए राष्ट्रीय महासचिवों में कोई ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य नहीं है।
बाकी अन्यों में स्वामी प्रसाद मौर्य,राम अचल राजभर,विश्वंभर प्रसाद निषाद, रवि प्रकाश वर्मा,लाल जी वर्मा, नीरज चौधरी तथा हरेंद्र मलिक को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। वहीं अन्य टीमों में अखिलेश ने अन्य पार्टियों से दलबदल कर आने वालों को खूब स्थान दिया है

कहा हो सकता है परिणाम

शायद अखिलेश यादव जानते हैं ओबीसी की राजनीति पर टिकी सपा का सवर्ण विश्वास नहीं करते और भाजपा को ही स्वाभाविक रूप से अधिकांश वोट करते हैं।इसलिए वो अधिक ध्यान शेष 80 प्रतिशत वोटों पर लगाना चाहते हैं। जब कि पिछले विधानसभा चुनाव में विकास दुबे के एनकाउंटर को हथियार बनाकर सवर्ण संवेदनाओं को पार्टी की ओर मोड़ने का प्रयास किया था।

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Hemant Vatsalya
Hemant Vatsalyahttp://www.dnpindiahindi.in
Hemant Vatsalya Sharma DNP INDIA HINDI में Senior Content Writer के रूप में December 2022 से सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने Guru Jambeshwar University of Science and Technology HIsar (Haryana) से M.A. Mass Communication की डिग्री प्राप्त की है। इसके साथ ही उन्होंने Delhi University के SGTB Khalasa College से Web Journalism का सर्टिफिकेट भी प्राप्त किया है। पिछले 13 वर्षों से मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हैं।

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