Bihar Politics: अतीत के पन्ने पलाटेंगे तो बिहार की सियासत में कांग्रेस का दबदबा नजर आएगा। एक दौर था जब उत्तर भारत में स्थित बिहार पॉलिटिक्स में Congress की तूती बोलती थी। शीर्ष नेतृत्व जिसे जब चाहे सत्ता के शिखर पर पहुंचा देता था। हालांकि, 1990 के दशक में परिस्थितियां बदलीं। जनता दल की सियासी पृष्ठभूमि बिहार में मदबूत हुई। फिर लालू यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान, जॉर्ज फर्नांडीस जैसे नेता मजबूत हुए और कांग्रेस के हाथ से सियासी जमीन खिसकती गई। हालांकि, अब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस Bihar Politics में खुद को पुनर्जीवित करने को आतुर है। इसी कड़ी में Rahul Gandhi ने आज बेगूसराय में कन्हैया कुमार की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ रैली में हिस्सा लिया है। राहुल गांधी का ये कदम RJD खेमे में हलचल का विषय है। तो आइए आपको सब कुछ विस्तार से बताते हैं।
क्या Rahul Gandhi की सक्रियता से Bihar Politics में खिसकी सियासी जमीन हासिल कर पाएगी Congress?
इस सवाल का पुख्ता जवाब भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल कयासबाजी का दौर है और हम आपको उसी के आधार पर खबर बताएंगे। राहुल गांधी आज बेगूसराय में कन्हैया कुमार की रैली में शामिल हुए। Rahul Gandhi का यूं बिहार पॉलिटिक्स में सक्रिय होना कई सवालों को जन्म देता है। कृष्णा अल्लवारु को बिहार प्रभारी बनाना, दलित नेता को राज्य की कमान सौंपना, कन्हैया कुमार, पप्पू यादव को फ्रंटफुट पर ढ़केलना, दर्शाता है कि Congress राजद की छत्रछाया से निकलना चाहती है। यही वजह है कि कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व तेजस्वी यादव को सीएम फेस के तौर पर नहीं स्वीकार रहा। इसके बाद राहुल गांधी का Bihar Politics में सक्रिय होना ये दर्शाता है कि कांग्रेस अपने पुराने सियासी जमीन को वापस लेने के लिए ऊर्जा झोंक रही है। अब ये प्रयास कितना सफल साबित होगा, ये तो बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद ही स्पष्ट होगा।
बिहार में कभी सत्ता का केन्द्र होती थी कांग्रेस
उस दौर को याद कीजिए जब बिहार में कांग्रेस का दबदबा नजर आता था। जब बिहार झारखंड एक हुआ करता था तब काग्रेस से चंद्रशेखर सिंह, बिंदेश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद, सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, भोला पासवान शास्त्री, हरिहर सिंह, जगन्नाथ मिश्रा, दरोगा प्रसाद राय समेत अन्य कुछ नेताओं ने Bihar Politics में झंडे गाड़े थे। ये सभी नेता सत्ता की शीर्ष तक पहुंचकर मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, 1990 में जगन्नाथ मिश्रा के बाद जनता दल सत्ता में आई और फिर Congress के सिर बिहार में सत्ता का ताज नहीं सजा। ऐसे में अब एक बार फिर जब Rahul Gandhi मजबूती से बिहार में जम रहे हैं, तो सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी अपनी खोई सियासी जमीन हासिल कर पाएगी।
बिहार पॉलिटिक्स में राहुल गांधी की सक्रियता, RJD खेमे में क्यों है खलबली का कारण?
RJD कैंप तो तेजस्वी को ही चेहरा मान कर चल रहा है, लेकिन कांग्रेस तेजस्वी के नेतृत्व को सिरे से खारिज कर रही है। पप्पू यादव हों या कृष्णा अल्लवारु, दोनों ने Tejashwi Yadav के नेतृत्व को फिलहाल खारिज कर दिया है। ऐसे में जहां एक ओर RJD महागठबंधन में अपना दबदबा चाहती हैं, वहीं Rahul Gandhi का बिहार में सक्रिय होना उस कैंप में खलबली का कारण है।
दावा किया जा रहा है कि यदि काग्रेस, राजद खेमा से निकलकर स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में उतर गई, तो विपक्ष को झटका लगेगा। वोट विभाजन के कारण इसका खामियाजा राजद को भी भुगतना पड़ सकता है। यही वजह है कि Bihar Politics में राहुल गांधी के दौरे को लेकर चर्चा है। हम स्पष्ट कर दें कि ये सब कुछ संभावनाओं और कयासों के आधार पर कहा जा रहा है। वास्तविक घटनाक्रम क्या होगा इसके लिए सही समय का इंतजार करना होगा।