Lilavati Hospital: मुंबई के लीलावती अस्पताल में 1250 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपों के बीच पूर्व ट्रस्टियों पर काला जादू करने का बड़ा आरोप लगा है। अस्पताल का प्रबंधन ‘लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट’ के हाथ में है। दावों के मुताबिक, फर्श के नीचे से हड्डियों और बालों से भरे 8 कलश बरामद किए गए हैं। इस रहस्यमयी मामले के सामने आने के बाद घटना की जांच शुरू हो गई है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक Lilavati Hospital ट्रस्ट के मौजूदा कार्यकारी निदेशक और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पूर्व ट्रस्टियों ने पिछले 20 सालों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की हैं। इस घोटाले की वजह से पहले से ही अस्पताल की प्रतिष्ठा पर असर पड़ रहा था और अब काला जादू का मामला सामने आने से विवाद अपने चरम पर पहुंच गया है।
Lilavati Hospital के पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ FIR दर्ज
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, लीलावती अस्पताल के संस्थापक किशोर मेहता के भाई विजय मेहता और उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों सहित पूर्व ट्रस्टियों द्वारा कथित वित्तीय हेराफेरी के लिए तीन एफआईआर दर्ज की गई थीं। इसके अलावा, Lilavati Hospital पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ कर चोरी और कर धोखाधड़ी की शिकायतें भी दर्ज की गईं। महाराष्ट्र एंटी-ब्लैक मैजिक एक्ट के तहत एक और शिकायत तब दर्ज की गई जब अस्पताल के कर्मचारियों ने प्रशांत मेहता और उनकी मां चारु मेहता को नुकसान पहुंचाने के लिए पूर्व ट्रस्टियों द्वारा कथित तौर पर काला जादू किए जाने के सबूतों की एक रिपोर्ट पेश की।
लीलावती अस्पताल में Black Magic के मिले सबूत?
अस्पताल के ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने कहा, “हमारी मां चारु मेहता और अन्य स्थायी ट्रस्टियों के कार्यालय के फर्श के नीचे रहस्यमयी चीजें मिली हैं। हमने इंजीनियरिंग विभाग से फर्श को तोड़वाया और इसका वीडियो भी बनाया।” दूसरी ओर, ट्रस्टियों ने कहा कि हड्डियां और अन्य वस्तुएं मिली हैं और यह Lilavati Hospital की छवि खराब करने और कर्मचारियों को डराने की साजिश हो सकती है। दूसरी ओर, विजय मेहता के बेटे चेतन मेहता ने काले जादू के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि “काले जादू के आरोप जवाब देने लायक भी नहीं हैं और केवल सनसनी फैलाने के लिए हैं।”
ये भी पढ़ें: MK Stalin: न संविधान को समझा और ना लिया किसी की राय? फिर भी स्टालिन ने ‘₹’ ही बदल डाला; जानें हिंदी से ऐसी नफरत क्यों