Thursday, December 5, 2024
Homeख़ास खबरेंMuslim Marriage Act Assam: असम सरकार ने राज्य के मुस्लिम विवाह अधिनियम...

Muslim Marriage Act Assam: असम सरकार ने राज्य के मुस्लिम विवाह अधिनियम को रद्द करने का फैसला क्यों लिया ? जानें वजह

Date:

Related stories

कल का मौसम 5 Dec 2024: Delhi में कुहासे की दस्तक! UP-Uttarakhand में बढ़ेगा ठंड का प्रकोप; यहां जानें MP, Rajasthan और Haryana में...

कल का मौसम 5 Dec 2024: मौसम विभाग की पूर्वानुमान रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इसके तहत ये आसार जताए गए हैं कि कल का मौसम 5 Dec 2024 कैसा रहेगा? इस लेख के माध्यम से हम आपको इसी सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे।

Muslim Marriage Act Assam: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को कहा कि जब तक वह जीवित हैं, वह असम में किशोर लड़कियों की शादी की अनुमति नहीं देंगे। आपको बता दें कि असम कैबिनेट ने शुक्रवार को मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त करने के बाद राज्य की मुस्लिम महिलाओं को अत्याचार और शोषण से मुक्ति मिलेगी।

मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 क्या है?

फाइल फोटो प्रतिकात्मक

1935 में अधिनियमित, यह अधिनियम मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करने की प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करता है। 2010 में एक संशोधन किया गया जिसने असम में मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण को अनिवार्य करते हुए ‘स्वैच्छिक’ शब्द को ‘अनिवार्य’ से बदल दिया गया। यह अधिनियम राज्य को किसी भी मुस्लिम व्यक्ति के विवाह और तलाक के पंजीकरण के लिए लाइसेंस जारी करने का अधिकार देता है। अधिनियम मुस्लिम रजिस्ट्रारों को लोक सेवकों के रूप में नामित करता है, और रजिस्ट्रार के साथ विवाह और तलाक पंजीकरण के लिए आवेदन प्रक्रिया को निर्दिष्ट करता है। यह अधिनियम मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुरूप था।

Muslim Marriage Act Assam कानून निरस्त करने के पीछे तर्क?

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले को “असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बताया। असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 में मुस्लिम रजिस्ट्रारों के लिए प्रावधान किया गया था, जो राज्य में तलाक और विवाह पंजीकृत कर सकते थे। मौजूदा कानून के तहत, पंजीकरण स्वैच्छिक आधार पर किया जाता है, और यह अनिवार्य नहीं है। मीडिया से बात करते हुए मंत्री बरुआ ने कहा कि इस कानून के आधार पर राज्य में अब भी 94 मुस्लिम रजिस्ट्रार मुस्लिम विवाह का पंजीकरण और तलाक का काम कर रहे हैं। राज्य सरकार चाहती है कि अब विवाहों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाए।

बाल विवाह पर रोकथाम

बरुआ के अनुसार, मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 के तहत 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों या 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के कम उम्र में विवाह के पंजीकरण की अनुमति देता है। मंत्री ने कहा कि कानून को खत्म करना असम में बाल विवाह को पूरी तरह से खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

विपक्ष ने मौजूदा सरकार पर लगाया आरोप

विपक्षी कांग्रेस और अल्पसंख्यक-आधारित ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने अधिनियम को निरस्त करने और असंवैधानिक कदम के माध्यम से मुसलमानों को लक्षित करने के लिए राज्य की भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की। बता दें कि एआईयूडीएफ विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा कि असम सरकार बहुविवाह या यूसीसी पर कोई विधेयक नहीं ला सकी। इसलिए, उन्होंने इस अधिनियम को निशाना बनाया है, हालांकि कैबिनेट के पास संवैधानिक अधिकार को निरस्त करने या संशोधित करने का अधिकार नहीं है।

असम में जल्द लागू होगा यूसीसी?

इस कानून को लागू करने के बाद समान नागरिक कानून यूसीसी की ओर पहला कदम माना जा रहा है। असम में मुस्लिम विवाह अधिनियम को निरस्त होने पर मंत्री जयंत मल्ला बरूआ ने कहा कि हम जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू करने जा रहे है। पर्यटन मंत्री और सरकार के प्रवक्ता, जयंत मल्ला बरुआ ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि अधिनियम को रद्द करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि राज्य यूसीसी की ओर बढ़ रहा है। यह निर्णय भाजपा शासित उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता लागू करने के कुछ दिन बाद आया है। वहीं माना जा रहा है कि असम की भाजपा सरकार यूसीसी कानून को जल्द ही लागू कर सकती है।

Latest stories