Pradhan Mantri Vishwakarma Yojana: केंद्र सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जाती हैं। इनसे जुड़े लाभार्थियों की संख्या इस समय काफी बड़ी है। सभी योजनाओं के लिए अलग-अलग पात्रता मानदंड तय किए गए हैं। जिनका उद्देश्य स्पष्ट है कि जरूरतमंद लोगों को सीधा लाभ पहुंचाना। इसी कड़ी में एक ऐसी योजना है जिसने न सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि उन्हें कारोबार करने के लिए एक ठोस व्यवस्था भी प्रदान की है। जिसकी इन दिनों पूरे देश में चर्चा हो रही है। तो आइए जानते हैं कि यह कौन सी Yojana है और इसकी पात्रता मानदंड क्या हैं? यह जानने के लिए इस खबर को अंत तक पढ़ें।
Pradhan Mantri Vishwakarma Yojana: क्या है पात्रता मानदंड?
दरअसल, साल 2023 में केंद्र सरकार द्वारा पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की शुरुआत की गई थी। जिसका उद्देश्य 18 पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े लोगों को सीधा लाभ पहुंचाना था। Pradhan Mantri Vishwakarma Yojana के तहत लाभ पाने के इच्छुक आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से ऊपर रखी गई थी। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ खासतौर पर मूर्तिकार, सुनार, लोहार, राजमिस्त्री, खिलौना कारीगर, धोबी, दर्जी, नाई, बाल काटने वाले, माला बनाने वाले, बढ़ई, टोकरी बनाने वाले, चटाई बुनने वाले, झाड़ू बनाने वाले आदि कामगारों को मिलता है। सही मायने में इस योजना की गाइडलाइन के अनुसार ये सभी वर्ग इस योजना के लाभार्थी बन सकते हैं।
PM Vishwakarma Yojana: कब मिलेंगे 15000 रुपये?
मालूम हो कि पीएम विश्वकर्मा योजना से जुड़ने के बाद आवेदक को सबसे पहले संबंधित क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है। जिसके लिए एडवांस ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए बचे हुए आवेदकों यानी अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण जारी रहने तक 500 रुपये प्रतिदिन दिए जाने का प्रावधान है। इतना ही नहीं इस योजना से जुड़ते ही कई तरह के लाभ मिलने लगते हैं। इनमें लोन की सुविधा आदि शामिल है।
उदाहरण के लिए सबसे पहले अगर कोई व्यक्ति PM Vishwakarma Yojana का लाभार्थी बनता है तो उसे सरकार की ओर से सबसे पहले 15 हजार रुपये दिए जाते हैं। इस पैसे की मदद से वे अपने काम में इस्तेमाल होने वाले टूलकिट खरीद सकेंगे। क्योंकि किसी भी कुशल कामगार के लिए टूलकिट उसके काम के लिए बेहद जरूरी होता है। जिसकी मदद से वे अपना काम आसानी से कर पाते हैं। साथ ही अगर कोई व्यक्ति अपना खुद का व्यवसाय करना चाहता है तो इसके लिए सरकार सबसे पहले उन्हें 1 से 3 लाख रुपये तक की लोन सुविधा उपलब्ध कराती है। इसके लिए न्यूनतम ब्याज दर देय होती है। इसे चुकाने के बाद लाभार्थी को पहले से अधिक धनराशि ऋण पर दी जाती है, ताकि लाभार्थी अपने व्यवसाय का और अधिक विस्तार कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।