Rajasthan News: नकली दवाइयों के एक नेक्सस मिलने से राजस्थान के सीकर में हड़कंप मच गया है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीकर में ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके तहत विभाग को कुल 9 तरह की दवाइयां नकली मिली हैं जिनमें सॉल्ट की जगह पाउडर की मात्रा भर-भरकर डाला गया था।
ये दवाइयां डायबिटीज, मलेरिया, दस्त, संक्रमण, गठिया, दाद और मनोदैहिक विकार जैसी बीमारी से जूझ रहे रोगियों को दी जाती थीं। खबरों की मानें तो सीकर समेत आसपास के जनपदों में इन दवाइयों से 10 करोड़ का व्यापार था। इन तमाम गंभीर बीमारियों के रोकथाम हेतु इस्तेमाल किए जाने वाले दवाइयों में सॉल्ट की जगह पाउडर का मिलना, सारे फसाद की जड़ है। ड्रग कंट्रोल विभाग की ये जांच ऐसी है जिसका रिपोर्ट सामने आते ही कईयों की आंख से पर्दा हट गया है।
दवाइयों में सॉल्ट की जगह मिली पाउडर की मात्रा
इसका जिक्र दैनिक भास्कर की उस रिपोर्ट में है जो सुरेन्द्र मावलिया द्वारा लिखी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक सीकर के विभिन्न हिस्सों से सैंपल के लिए दवाएं ली गई थीं। इन दवाओं में सॉल्ट की जगह पाउडर की मात्रा अधिक है जो सारे फॉर्मूला का खेल बिगाड़ रही है।
जांच में एंटीबायोटिक दवाएं भी फेल हुई हैं और उनमें सॉल्ट की मात्रा गड़बड़ है। इन सारी दवाओं का निर्माण हिमाचल प्रदेश, जयपुर और उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में हुआ था। सीकर ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने इन सभी दवाओं को सील कर इसका खुलासा किया है जिसके बाद नकली दवा बनाने वाली नेक्सस का खुलासा हुआ है।
नकली दवाइयों का दुष्परिणाम जान चौंक जाएंगे
ये दवाइयां जो जयपुर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में निर्मित है उनमें सॉल्ट की मात्रा गायब है। सॉल्ट की जगह पाउडर की मात्रा होना मरीजों के लिए काल बन सकता है। यदि ज्यादा पाउडर वाली दवा मरीज को दी जाए, तो इससे असर कम होगा। इसके अलावा दवा का असर कम होने से बीमारी और जटिल होने की आशंका बढ़ सकती है।
नकली या मिश्रित दवाएं संबंधित बीमारी को बढ़ा सकती हैं या मरीज पर गलत असर पड़ने की आशंका रहती है। वहीं अगर बीमारी वायरल है, तो वो फिर पनक कर रोगी को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में कोई दवा फॉर्मेसी से खरीदने के पहले कंपोजिशन, कंटेंस और सॉल्ट की मात्रा अवश्य देखें। ऐसा करने से नकली दवाइयों के दुष्परिणाम से बचा जा सकता है और खुद को रोग मुक्त किया जा सकता है।






