Monday, May 19, 2025
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दिल्ली में किया गया Who is Raising Your Children किताब का विमोचन; लेखक Rajiv Malhotra ने कई अहम मुद्दों पर की टिप्पणी

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Rajiv Malhotra: प्रसिद्ध विचारक Rajiv Malhotra और सह-लेखिका विजया विश्वनाथन द्वारा लिखित पुस्तक Who is Raising Your Children? (हू इज रेजिंग योर चिल्ड्रन?) का विमोचन शोभित यूनिवर्सिटी द्वारा संविधान क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में किया गया। इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, नीति-निर्माताओं, राजनयिकों और समाजसेवकों ने भाग लिया। यह आयोजन शिक्षा के भविष्य, युवा मनों को आकार देने वाले वैचारिक प्रभावों और वैश्विक शक्तियों द्वारा सीखने के प्रतिमानों को निर्धारित करने में बढ़ती भूमिका पर गहन चर्चा का मंच बना।

गौरतलब है कि यह कार्यक्रम शिक्षाविदों, नीति-निर्माताओं, नौकरशाहों, समाजसेवकों, मीडिया पेशेवरों, स्कूल प्राचार्यों और युवा विद्वानों को एक साथ लाने का महत्वपूर्ण अवसर था। इसने इस बात को मजबूती से रेखांकित किया कि भारत को अपनी शैक्षिक प्रणाली पर नियंत्रण पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता है।

किताब के लेखक Rajiv Malhotra समेत कई गणमान्य लोग रहे मौजूद

Who is Raising Your Children किताब के विमोचन के दौरान कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

  • राजेंद्र अग्रवाल, पूर्व सांसद, लोकसभा, मेरठ
  • प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, अध्यक्ष, NETF, NAAC, और NBA; पूर्व अध्यक्ष, AICTE
  • प्रो. डी.पी. सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार; पूर्व अध्यक्ष, UGC
  • प्रो. पंकज मित्तल, महासचिव, AIU; अध्यक्ष, SSU NYAS
  • डॉ. आर.सी. अग्रवाल, उप महानिदेशक, ICAR
  • कुँवर शेखर विजेंद्र, सह-संस्थापक और कुलाधिपति, शोभित यूनिवर्सिटी

इसके अतिरिक्त, इस कार्यक्रम में प्रमुख शिक्षाविदों, राजनयिकों, नौकरशाहों, शोधकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने भाग लिया और भारत की शिक्षा प्रणाली में बढ़ते वैचारिक प्रभावों पर अपने विचार साझा किए।

किताब के विमोचन पर Rajiv Malhotra ने कई अहम मुद्दों पर की टिप्पणी

अपने मुख्य भाषण में Rajiv Malhotra ने स्कूलों में बढ़ती वैचारिक कंडीशनिंग पर चिंता व्यक्त की, जो बच्चों की सोचने की प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थानों और बाहरी प्रभावों ने भारतीय शिक्षा पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है, जिससे हमारी सभ्यतागत पहचान पीछे छूट रही है।”अब शिक्षा केवल ज्ञान के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैचारिक युद्ध का माध्यम बन चुकी है। आज स्कूलों में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि वे इतिहास, समाज और स्वयं बच्चों के प्रति उनकी सोच को प्रभावित कर रहे हैं।

यदि हम इस बदलाव को पहचान कर समय पर कार्रवाई नहीं करेंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ी ऐसे विचारों को अपना लेगी जो हमारी संस्कृति और पहचान से मेल नहीं खाते।” उन्होंने नीति-निर्माताओं से पाठ्यक्रम की समीक्षा करने का आह्वान किया, ताकि भारतीय युवाओं को उनकी जड़ों से अलग होने से बचाया जा सके। साथ ही, उन्होंने माता-पिता से भी बच्चों की शिक्षा में अधिक संलग्न होने का अनुरोध किया।

सह लेखिका Vijaya Viswanathan ने दी अपनी राय

सह-लेखिका विजया विश्वनाथन ने वैश्विक वैचारिक प्रभावों के स्कूलों में प्रवेश पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से सोशल-इमोशनल लर्निंग और समग्र लैंगिक शिक्षा जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों और सांस्कृतिक पहचान को कमजोर कर सकते हैं। “हमें खुद से यह सवाल पूछना चाहिए: क्या हम अपने बच्चों को उनकी विरासत और मूल्यों से परिचित करवा रहे हैं,

या हम उन्हें ऐसी बाहरी विचारधाराओं से प्रभावित होने दे रहे हैं जो उन्हें उनकी जड़ों से दूर कर रही हैं? आज का शिक्षा तंत्र बच्चों की नैतिकता, पहचान और आत्म-अनुभूति को आकार दे रहा है, और यह सब माता-पिता की जानकारी या सहमति के बिना हो रहा है।” उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे यह समझने के लिए सतर्क रहें कि स्कूलों में क्या पढ़ाया जा रहा है।

Who is Raising Your Children किताब के विमाचन अन्य गणमान्य व्यक्तियों की प्रतिक्रिया

  • कुँवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली पर नियंत्रण वापस लेना चाहिए और भारतीय-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि भारतीय शिक्षा को पश्चिमी मॉडल की नकल करने के बजाय अपनी बौद्धिक परंपरा को बनाए रखना चाहिए।
  • श्री राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा को भारत की राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए और इसे बाहरी ताकतों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
  • प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी के अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने आगाह किया कि डिजिटल शिक्षा को सही उद्देश्य की पूर्ति करनी चाहिए, न कि इसे वैचारिक नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाए।
  • प्रो. डी.पी. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे बौद्धिक स्वतंत्रता को बनाए रखें और शिक्षा को वैचारिक टकराव का माध्यम न बनने दें।
  • प्रो. पंकज मित्तल ने पाठ्यक्रम स्वायत्तता की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि पाठ्यक्रम सुधारों को बाहरी एजेंडों के बजाय राष्ट्रीय प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए।
  • डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि नई पीढ़ी अपनी जड़ों से कट जाएगी, तो वह राष्ट्र निर्माण में प्रभावी भूमिका नहीं निभा सकेगी।

गौरतलब है कि लेखक Rajiv Malhotra द्वारा लिखी Who is Raising Your Children किताब का विमोचन भारतीय शिक्षा प्रणाली की वर्तमान स्थिति पर एक चेतावनी के रूप में आया है। यह सभी हितधारकों से आह्वान करता है कि वे बाहरी प्रभावों से शिक्षा प्रणाली को बचाने और इसे एक सशक्त बौद्धिक और नैतिक विकास के साधन के रूप में बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाएं।

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