गुरूवार, नवम्बर 13, 2025
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Tirupati Balaji Laddu Controversy: बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर घमासान! जानें भोग में लड्डू का खास महत्व

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Tirupati Balaji Laddu Controversy: आंध्र प्रदेश के पहाड़ी शहर तिरुमला में स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर में भक्तों को दिए जाने वाले प्रसाद (लड्डू) में मिलावट से जुड़ी खबर को लेकर सियासी घमासान मचा है। केन्द्र की मोदी सरकार ने इस बढ़ते घमासान को देखते हुए जांच कराने की बात कह दी है। आंध्र प्रदेश की बात करें तो वहां सूबे की विपक्षी दल YSRCP और सत्तारुढ़ दल TDP के बीच इसको लेकर वार-पलटवार का दौर भी जारी है।

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की खबरों के बीच लड्डू को लेकर खूब सुर्खियां बनीं। हम सभी ने ये अनुभव किया कि ज्यादातर धार्मिक स्थलों पर आज भी प्रसाद के रूप में लड्डू का ही चलन है और भगवान को ‘भोग’ लगाकर नैवेद्य लड्डू को भक्तों के बीच वितरित किया जाता है। ऐसे में ये सवाल ज़हन में जरुर आया होगा कि आखिर प्रसाद में लड्डू का ही इस्तेमाल क्यों करते हैं? तो आइए हम इस तरह के कुछ सवालों का जवाब ढूढ़ने की कोशिश करते हैं और भोग-प्रसाद में लड्डू के महत्व के बारे में बताते हैं। (Tirupati Balaji Laddu Controversy)

प्रसाद में लड्डू का महत्व

देश के कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर भक्तों को प्रसाद स्वरूप लड्डू दिया जाता है। मान्यताओं के अनुसार प्रसाद का अर्थ है परमात्मा का दर्शन अर्थात प्रसाद ग्रहण करने से भक्त को परमात्मा के दर्शन बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रसाद में मिलने वाले लड्डू की बात करें तो इस नैवेद्य का रंग पीला होता है। पीले रंग को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है और इसीलिए ज्यादातर धार्मिक कार्यों में लोग पीले रंग का वस्त्र पहनते हैं जो कि शुभ माना जाता है।

पीला रंग भगवान विष्णु, भगवान गणेश, बृहस्पति देव का भी प्रिय रंग माना जाता है। इसके अलावा विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी को लड्डू व मोदक प्रिय है। ऐसे में लड्डू के पीले रंग और तमाम देवी-देवताओं से इसके जुड़ाव को लेकर चली आ रही मान्यता को देखते हुए प्रसाद के रूप में लड्डू का इस्तेमाल किया जाता है।

प्राचीन समय से चली आ रही लड्डू की मान्यता

बालाजी मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में मिलावट को लेकर बन रही सुर्खियों के बीच लड्डू मिठाई को लेकर तमाम तरह की खबरें बन रही हैं। बता दें कि लड्डू का महत्व प्राचीन समय में भी रहा है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक ‘चोल वंश’ के शासन काल में लड्डू का ‘गुड लक’ माना जाता था और यही वजह थी कि सैन्यकर्मी युद्धभूमि में जाने से पहले लड्डू खाते थे। हालाकि तब लड्डू को बनाने के लिए गुड़ का इस्तेमाल होता था जबकि अब इसे चीनी की मदद से बनाया जाता है। ऐसे में लड्डू मिष्ठान का प्राचीन समय में भी खूब महत्व रहा है।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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