UPSC Exam Reform: एक अहम लकीर खींचते हुए आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में संशोधन की मांग उठाई है। डी. सुब्बाराव ने यूपीएससी एग्जाम रिफॉर्म का जिक्र करते हुए परीक्षा के लिए उम्र सीमा और अटेम्प्ट सीमा घटाने का सुझाव दिया है। पूर्व RBI गवर्नर की बातें अब सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही हैं। डी. सुब्बाराव ने खास तर्क पेश करते हुए लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। उम्र सीमा की बात हो या अटेम्प्ट की, UPSC Exam Reform की वकालत कर रहे डी. सुब्बाराव की एक-एक बातें शिक्षा जगत में सुर्खियों का विषय बनी हैं। बहुतायत ऐसे छात्र हैं जो पूर्व आरबीआई गवर्नर की बातों का समर्थन कर रहे हैं, तो कई अभ्यर्थी इसे निजी विचार बताकर किनाटा काट रहे हैं।
क्यों UPSC Exam Reform की वकालत कर रहे D Subbarao?
इसके सलाह के पीछे पूर्व आरबीआई चीफ के अपने तर्क हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख में पूर्व आरबीआई गवर्नर लिखते हैं कि बार-बार असफलता के बाद भी उम्मीदवार खुद से पीछे नहीं हट पाते। यही सोच कई युवाओं के सबसे अच्छे साल खराब कर देती है। यूपीएससी एग्जाम रिफॉर्म को लेकर डी. सुब्बाराव का कहना है कि 1970 के दशक में अभ्यर्थियों को सिर्फ दो मौके मिलते थे और उम्र सीमा 21 से 24 साल थी। यही वजह है कि समय की मांग को देखते हुए पूर्व RBI Governor उम्र सीमा को 27 साल और अधिकतम तीन अटेम्प्ट होने की बात कर रहे हैं। UPSC Exam Reform के तहत युवाओं की भूमिका को अहम बताते हुए डी. सुब्बाराव कहते हैं कि युवा प्रशासन में नई ऊर्जा, जोश और ताजगी लाते हैं जो जरूरी है।
40 वर्ष से ज्यादा वालों के लिए अलग से प्रतियोगी प्रक्रिया की सलाह
डी. सुब्बाराव ने UPSC Exam Reform की वकालत करते हुए 40 वर्ष से ज्यादा वाले अभ्यर्थियों के लिए अलग से प्रतियोगी प्रक्रिया की सलाह दी है। डी. सुब्बाराव का तर्क है कि UPSC को 40 से 42 साल की उम्र के प्रोफेशनल्स के लिए हर साल एक अलग परीक्षा आयोजित किया जाना चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया को मौजूदा लैटरल एंट्री से भिन्न और एक स्थायी और प्रतियोगी प्रक्रिया होनी चाहिए। ऐसा होने से अभ्यर्थी पहले किसी और करियर में अनुभव ले सकेंगे और फिर बाद में प्रशासनिक सेवा में आ सकेंगे।