Delhi NCR Earthquake: दोपहर करीब डेढ़ बजे जब आप अपने काम में व्यस्त थे, तभी दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक बैंकॉक में भूकंप आया। यह सब तब हुआ जब भूकंप का केंद्र म्यांमार में था और इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.7 मापी गई। सोशल मीडिया पर इस शहर का एक वीडियो ने कुछ पलों के लिए लोगों की सांसें रोक दीं। इस वीडियो में साफ देखा गया कि Earthquake के झटके इतने तेज थे कि एक बहुमंजिला इमारत चंद सेकेंड में ही ढह गई। जबकि जापान की इमारतों को ये भूकंप ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते। क्योंकि यहां के घरों को भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है। इस लेख में हम इस पर भी चर्चा करेंगे।
लेकिन इससे पहले भारत की राजधानी दिल्ली के लोगों के मन में बैंकॉक में आए भूकंप से चंद पलों में इमारत के जमींदोज हो जाने का डर घूमने लगा है। डर जायज भी है। दुनिया हर दिन विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में बड़े-बड़े प्रयोग कर कीर्तिमान हासिल कर रही है। लेकिन दिल्ली की ज्यादातर इमारतें अपनी निर्माण गुणवत्ता पर सवाल उठा रही हैं।
इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि भारत समेत हिमालय से सटे देशों में पिछले कुछ सालों में भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि भारत की राजधानी Delhi NCR Earthquake के लिहाज से काफी संवेदनशील है। यह सिस्मिक जोन-4 में आती है। जिसके चलते राष्ट्रीय राजधानी में भूकंप का खतरा ज्यादा बना रहता है। सवाल यह है कि भगवान न करे अगर दिल्ली में 7.2 तीव्रता का भूकंप आया तो क्या शहर की इमारतें इस तीव्रता का झटका झेल पाएंगी? आइए इसकी पड़ताल कर जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं।
यदि दिल्ली में 7.2 तीव्रता का Earthquake आया तो क्या होगा?
सबसे पहले जान लें कि दिल्ली सिस्मिक जोन-4 में आती है। जिसे भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। 7.2 तीव्रता के भूकंप से बहुत ज़्यादा ऊर्जा प्रवाहित होती है। जो किसी भी तरह की ज़मीन को दो हिस्सों में तोड़ने में सक्षम है। भूस्खलन के मामले भी सामने आ सकते हैं। यह समुद्री क्षेत्रों में सुनामी लाने में भी सक्षम है। Earthquake की ऊर्जा रिक्टर स्केल के जरिए मापी जाती है। जो 0 से 10 तक होती है। विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि हर एक बिंदु की वृद्धि के साथ भूकंप की शक्ति लगभग 10 गुना बढ़ जाती है। यानी यह स्पष्ट है कि 7.2 तीव्रता का भूकंप मुख्य श्रेणी में माना जाता है। क्योंकि यह एक बिंदु कम तीव्रता वाले भूकंप से दस गुना अधिक शक्तिशाली होता है। जिसमें जान-माल का भारी नुकसान होने की संभावना रहती है।
NCR में ऊंची इमारतों का Building Audit क्यों है जरूरी?
सवाल यह है कि क्या दिल्ली की इमारतें उच्च तीव्रता वाले भूकंप को झेलने में सक्षम हैं? एनसीआर में ऊंची इमारतों का Building Audit क्यों जरूरी है? एनवीटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और एमसीडी ने दिल्ली में भूकंप के खतरे को लेकर एक सर्वेक्षण किया और मौजूदा स्थिति का जायजा लिया। जिसमें पाया गया कि दिल्ली की 90 प्रतिशत इमारतें भूकंपीय क्षेत्र-4 के खतरों से निपटने के लिए मानकों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं।
इसके बावजूद न तो स्थानीय लोगों और न ही सरकार ने इमारतों के भूकंपरोधी डिजाइन को लेकर कोई जागरूकता दिखाई है। इसके अलावा मालूम हो कि दिल्ली NCR से हिमाचल की दूरी करीब 250 किलोमीटर है। उदाहरण के लिए अगर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा इलाके में रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता का भूकंप आता है तो राष्ट्रीय राजधानी की कई इमारतों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इतना ही नहीं शहर की बसावट ऐसी है कि यह लोगों के लिए परेशानी का सबब भी बन सकती है।
भूकंप से Japan के इमारतों को नुकसान क्यों नहीं होता?
सबसे पहले तो आपको ये जान लेना चाहिए कि जापान के शहरों में आए दिन भूकंप का डर बना रहता है। क्योंकि ये देश ऐसी जगह बसा है जहां टेक्टोनिक प्लेट्स कभी एक जगह पर केंद्रित नहीं रहती हैं। ऐसे में अगर इन प्लेटों में जरा सी भी हलचल होती है तो Japan में भूकंप आना तय है। इसके बावजूद यहां की इमारतों को ज्यादा नुकसान नहीं होता है। ज्यादातर मामलों में तो छोटी सी दरार भी नहीं आती है।
जापान को भूकंप रोधी बनाने में दशकों का वक्त लगा है। इसी वजह से बड़े से बड़े Earthquake आने के बाद भी यहां के घरों या इमारतों को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। जापान में घरों का निर्माण करते समय भूकंप रोधी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें भूकंपरोधी अलगाव, लचीला स्टील कंकाल, मोटी बीम, खंभे और दीवारें, अनुकूलनीय संरचना, नए भूकंप रोधी संरचना मानक आदि शामिल हैं।