Shashi Tharoor: इन दिनों शशि थरूर कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे हैं। वे लगातार चार बार से केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं। उन्हें लगता है कि कांग्रेस पार्टी का मौजूदा नेतृत्व लगातार उनकी अनदेखी कर रहा है। हाल ही में उन्होंने मलयालम भाषा के पॉडकास्ट पर कहा, “अगर कांग्रेस को मेरी सेवाओं की जरूरत नहीं है, तो मेरे पास कई दूसरे विकल्प है।” इससे पहले Shashi Tharoor ने केरल की लेफ्ट विजयन सरकार की नीतियों और पीएम मोदी की अमेरिकी दौरे की तारीफ की थी। वैसे भी इन सब बातों से उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। जिसे वे खुद अलग-अलग साउंडबाइट्स के जरिए हवा दे रहे हैं।
क्या शशि थरूर BJP में शामिल होंगे?
मालूम हो कि हाल ही में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री की तारीफ की थी। इसके बाद राजनीतिक संभावनाओं का बाजार और ज्यादा सक्रिय हो गया है। वहीं सूत्रों का मानना है कि शशि थरूर को बीजेपी में शामिल कराने के लिए एक बहुत बड़ी लुटियंस लॉबी लगी हुई है। फिलहाल कांग्रेस सांसद को करीब से जानने वालों का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए शशि थरूर कई बातों पर विचार कर रहे हैं। इनमें उनका अगला कदम लेफ्ट बेहतर होगा या राइट आदि शामिल है। इन सबके बीच बीजेपी केरल में अपना राजनीतिक विस्तार करने के लिए थरूर को साथ लेने की कोशिश करती दिख रही है।
राजनीतिक जानकार इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि, आगामी Kerala Assembly Elections में बीजेपी ऐसे किसी मशहूर नेता की तलाश में हो सकती है। जिसके जरिए पार्टी को केरल की राजनीति में मजबूत राजनीतिक ऊंचाई मिल सके। इसलिए ऐसी स्थिति में शशि थरूर बीजेपी के लिए संकटमोचक बनकर उभर सकते हैं। यह तो जगजाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर थरूर की काफी बड़ी फैन फॉलोइंग है। उनका राजनीतिक कद केरल के दूसरे राजनेताओं से मुकाबला करने के लिए उपयुक्त है।
वहीं अगर थरूर कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल होते हैं तो उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। यह भी संभव है कि अगर केरल विधानसभा का चुनाव परिणाम थरूर के पक्ष में जाता है तो भाजपा उन्हें CM बना सकती है। क्योंकि लंबे समय से यहां की क्षेत्रीय राजनीति में लेफ्ट का दबदबा रहा है। हालांकि थरूर ने इन सभी संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। इसकी एक बड़ी वजह वैचारिक मतभेद बताई जा रही है। लेकिन कहते हैं कि सियासत में इन सब बातों का ज्यादा समय तक कोई असर नहीं होता।
क्या शशि थरूर Left पार्टी का हिस्सा बनेंगे?
आपको बता दें कि हाल ही में सांसद शशि थरूर का एक लेख सामने आया था, जिसमें उन्होंने केरल के सीएम पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार की औद्योगिक नीति की तारीफ की थी। इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर यह दिग्गज नेता Congress छोड़ते हैं तो उनका अगला राजनीतिक ठिकाना लेफ्ट हो सकता है। इधर केरल के लेफ्ट दलों में भी शशि थरूर को साथ लेने को लेकर उत्सुकता है।
इसे समझने के लिए सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता थॉमस इसाक का बयान ही काफी है। जिसमें लेफ्ट के दिग्गज नेता का कहना है कि, “अगर शशि थरूर कांग्रेस छोड़ते हैं तो वह केरल की राजनीति में अकेले नहीं रहेंगे। उन्हें अपनी राजनीतिक स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, लेकिन थरूर को स्वीकार करने में CPI (M) को कोई दिक्कत नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि हमारी पार्टी (लेफ्ट) ने पहले भी कई कांग्रेस नेताओं को अपने साथ लेने का काम किया है।
थॉमस इसाक ने सांसद शशि थरूर के लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी में बने रहने को चमत्कार बताया है। इससे यह साफ होता है कि शशि थरूर के लिए लेफ्ट पार्टी के दरवाजे खुले हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि थरूर के लिए Left पार्टी में शामिल होकर अपना राजनीतिक करियर आगे बढ़ाना ज्यादा मुश्किल नहीं हो सकता है। क्योंकि इसके पीछे तर्क यह है कि Kerala Politics दो ध्रुवों में बंटी हुई है, एक तरफ लेफ्ट के नेतृत्व वाली एलडीएफ है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाली UDF है।
सूत्रों का मानना है कि अगर थरूर LDF में शामिल होते हैं तो उनकी राजनीतिक विचारधारा भी जिंदा रहेगी। यहां वह समय रहते अपना राजनीतिक मुकाम भी हासिल कर सकते हैं। हालांकि यह सच है कि अगर कांग्रेस का यह सांसद लेफ्ट पार्टी का हिस्सा बनते हैं तो उनके लिए राजनीतिक चुनौतियां भी कम नहीं होंगी। इनमें मौजूदा राष्ट्रीय राजनीति में अपना स्थान बरकरार रखना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
क्या Azad की राह पर चलते नजर आएंगे थरूर?
राजनीति में कब और कहां से कौन सी खबर आ जाए, यह कहना बहुत मुश्किल है। ऐसे में शशि थरूर के आगामी राजनीतिक कदम को लेकर लग रहे कयासों पर सटीक जानकारी पेश करना किसी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि वह उन लोगों में से हैं जो दूसरे नेताओं से अलग रहते हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि और स्पष्ट बोल हर किसी को उनका मुरीद बनाते हैं। लेकिन राजनीतिक पत्रकारिता में हमारी नजर भी किसी से कम नहीं होती। इसीलिए मैं (रूपेश रंजन) शशि थरूर या बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री Nitish Kumar या अन्य राजनीतिक हलचलों की हर प्रतिक्रिया को फिल्टर कर सटीक विश्लेषण के साथ DNP India Hindi के माध्यम से आप तक पहुंचाता रहा हूं।पिछले 8 सालों में राजनीति की हर हवा पर मेरी पैनी नजर रही है। इस लिहाज से कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor की मौजूदा राजनीतिक गतिविधियां दिलचस्प बनी हुई हैं।
जिसमें यह कहना भी अनुचित होगा कि अगर वह Congress छोड़कर लेफ्ट या राइट विंग का हिस्सा नहीं बनते हैं तो वह जम्मू-कश्मीर के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद की तर्ज पर अपना स्वतंत्र राजनीतिक मंच तैयार करते नजर आएंगे। यह समझना भी ज़रूरी है कि जब से शशि थरूर ने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया है, तब से हर चुनाव के नतीजे उनके पक्ष में रहे हैं। वे चुनाव जीतने में माहिर रहे हैं। इसके पीछे की वजह उनकी लोकप्रियता और उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष राजनीति रही है। PM Modi लहर के दौरान भी तिरुवनंतपुरम जैसी सीट से लगातार लोकसभा चुनाव जीतते आ रहे शशि थरूर केरल के हर इलाके में लोकप्रिय रहे हैं, चाहे वह ग्रामीण हो या शहरी।