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Delhi Election के नतीजों का बिहार चुनाव पर कितना असर होगा? क्या नीतीश बाबू के पास BJP के अलावा कोई और विकल्प है? जानें सुकबुछ

Delhi Election Result: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू समय के साथ ठोस फैसले लेती आ रही है। इनमें उनका कुछ साल पहले तक अलग-अलग पार्टियों के साथ रहकर सत्ता में बने रहना भी शामिल है। बिहार में सरकार बनाने के लिए भले ही किसी भी पार्टी से गठबंधन हो, लेकिन Nitish Kumar का बार-बार मुख्यमंत्री पद पर आना देश की राजनीति में एक अलग रणनीति को जन्म देता है।

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Bihar Assembly Elections (Symbolic Image)
Bihar Assembly Elections (Symbolic Image)

Delhi Election Result: हाल के महीनों में देश के अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनावों में BJP उम्मीदवारों की भारी जीत ने एनडीए के अन्य दलों की चिंता बढ़ा दी है। एक तरफ जहां भाजपा हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में हुए Assembly Elections के नतीजों से खुश है, वहीं दूसरी तरफ जनता दल यूनाइटेड को इस साल के मध्य या अंत में होने वाले Bihar Assembly Election को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल, मामला सीएम की कुर्सी पर फंसता नजर आ रहा है। जहां एक तरफ जदयू के Nitish Kumar सीएम की कुर्सी बचाना चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा बिहार की राजनीति में अपना खुद का मुख्यमंत्री पेश करने को आतुर हो सकती है। हालांकि, इस संबंध में अभी तक बिहार प्रादेशिक BJP इकाई और उसके राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है।

लेकिन यह भी एक कड़वा सच है कि Bihar भाजपा के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता वर्षों से अपनी पार्टी का सीएम चेहरा चाहते रहे हैं। इतना ही नहीं, BJP बहुल मतदाता भी बिहार में मोदी और योगी जैसे सुशासन की छवि वाले नेता को CM की कुर्सी पर देखने की चाहत के साथ वर्षों से पार्टी की ओर देख रहे हैं।

इन सबके बीच हाल ही में संपन्न हुए देश के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत ने बिहार पर जिम्मेदारी बढ़ा दी है। राजनीतिक गलियारों और बिहार के आम लोगों के बीच इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि, Delhi Election Result का बिहार पर क्या असर होगा? दिल्ली इलेक्शन के बाद बिहार विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती पेश करता दिख रहा है।

वहीं एनडीए के लिए भी ये काम उतना आसान नहीं लग रहा है। इस सबके बीच यह सवाल उठ रहा है कि, क्या दिल्ली में बीजेपी की प्रचंड जीत NDA को बिहार में सत्ता बरकरार रखने और 200 से ज्यादा सीटें जीतने में मदद करेगी? वैसे भी इस पर पूरे देश की नजर है।

अब बात CM कुमार के कुर्सी को लेकर

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की तीनों प्रमुख पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से भाजपा ने अकेले 68 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि एनडीए की सहयोगी जेडीयू और एलजेपी एक-एक सीट पर मैदान में थी। चुनाव नतीजे चौंकाने वाले रहे। यहां भाजपा ने 48 सीटों पर शानदार जीत हासिल की।

BJP की सहयोगी जेडीयू और LJP (RV) को हार का सामना करना पड़ा है। NDA के सहयोगियों ने दिल्ली में एनडीए की जीत का श्रेय भाजपा को दिया। जो चुनाव नतीजों के मुताबिक सही भी है। जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के CM नीतीश कुमार और एलजेपी-रामविलास प्रमुख Chirag Paswan ने दिल्ली विधानसभा में मिली सफलता को PM Modi के नेतृत्व की जीत बताया है।

मालूम हो कि BJP के सहयोगी दल जिन सीटों पर मैदान में थे, उनमें से हर एक-एक पर पूर्वांचल के लोगों की घनी बस्ती है। लेकिन इन दोनों सीटों के नतीजे JDU और लोजपा-आर के लिए उत्साहजनक नहीं रहे हैं।

बुराड़ी और देवली विधानसभा सीटों को लेकर एनडीए की उम्मीद यही थी कि वह बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों के जरिए पूर्वांचल के वोट बैंक को साध सके। इसके अलावा बीजेपी बिहार में एनडीए की मजबूती को बरकरार रखने के लिए दिल्ली में एक-एक सीट अपने सहयोगी दल को देने की रणनीति पर काम करती दिखी थी।

लेकिन नतीजे अभी बीजेपी के अनुकूल नहीं रहे। दूसरी तरफ Delhi Election Result से LJP(RV) पार्टी के लिए टेंशन कम है। वहीं, बिहार में सत्ता पर काबिज मुख्य पार्टी जनता दल सेक्युलर के लिए भी तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में सीएम की कुर्सी बचाए रखना किसी समंदर पार करने से कम नहीं है।

इन नतीजों ने वाकई बिहार में बीजेपी और जेडीयू के लिए टेंशन बढ़ा दी है। क्योंकि मौजूदा समय में बिहार सरकार के मुखिया की पार्टी JDU कुछ साल पहले तक RJD, कांग्रेस या यूं कहें INDIA bloc के साथ थी। ऐसे में नीतीश कुमार का मुंह मोड़कर बीजेपी और NDA का हिस्सा बन जाना, दिल्ली की वह सीट जो पूर्वांचल बहुल इलाके में आती है, वहां से JDU उम्मीदवार का चुनाव हार जाना अब कई सवालों को जन्म दे चुका है।

मुख्य सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार द्वारा समय-समय पर अलग-अलग दलों के साथ सरकार बनाने के कारण JDU का कोर वोटर अब छिटक रहे हैं? खैर, इन सभी सवालों के बीच अंत में यह कहना गलत नहीं होगा कि, बिहार में होने वाला आगामी विधानसभा चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

INDIA bloc के लिए केंद्र की मोदी सरकार और बिहार में नीतीश बाबू की कल्याणकारी योजनाओं का तोड़ निकालना और मतदाताओं को अपने पक्ष में करना रेगिस्तान में पानी की बाढ़ लाने से कम नहीं है। वहीं, बीजेपी के लिए बिहार में सभी दलों को साथ लेकर चलना भी किसी मुश्किल काम से कम नहीं है।

क्या Nitish कुमार फिर बदल सकते हैं पाला?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू समय के साथ ठोस फैसले लेती आ रही है। इनमें उनका कुछ साल पहले तक अलग-अलग पार्टियों के साथ रहकर सत्ता में बने रहना भी शामिल है। बिहार में सरकार बनाने के लिए भले ही किसी भी पार्टी से गठबंधन हो, लेकिन Nitish Kumar का बार-बार मुख्यमंत्री पद पर आना देश की राजनीति में एक अलग रणनीति को जन्म देता है। देश की राजनीति में नीतीश कुमार को महारथी कहा जाता है।

उनके फैसले और सौम्य व्यवहार को भारतीय राजनीति में किसी परिचय की जरूरत नहीं है। कहा जाता है कि राजनीति या चुनाव के मैदान में जब किसी की सोच खत्म होती है, उससे पहले ही नीतीश कुमार की योजना तैयार हो जाती है। ऐसे में इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था।

जहां उसे हार का सामना करना पड़ा। कहा जाता है कि राजनीति में पार्टियों और उम्मीदवारों की जीत-हार किसी पार्टी की भावी रणनीति बनाने में कारगर साबित होती रही है। इन सबको देखते हुए सवाल उठने लगे हैं कि क्या Delhi में बीजेपी के साथ गठबंधन कर जेडीयू की हार से आहत नीतीश कुमार बिहार में कुछ फैसला ले सकते हैं?

जानकारी हो कि बिहार में CM नीतीश कुमार की पार्टी BJP के साथ एनडीए का मजबूत हिस्सा है। जिसके मुताबिक दोनों के एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना है। वहीं अगर Bihar Elections नतीजों के रुझान, दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के मुताबिक बनते हैं, तो संभव है कि JDU का आलाकमान कोई बड़ा फैसला लेता नजर आ सकता है।

जिसमें बिहार में नीतीश कुमार को सत्ता में बनाए रखने के लिए जेडीयू का एक ठोस कदम साबित हो सकता है। मालूम हो कि नीतीश कुमार को बिहार की सरकार में चाणक्य माना जाता है। वे जिन राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करते हैं, संभवत: वे ही बिहार में सरकार बनाते हैं।

ऐसे में इंडिया गठबंधन भी बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए किसी भी सूरत में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को साथ लाने पर नजर रख सकता है। वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी Delhi Assembly Election के नतीजों के मद्देनजर बिहार चुनाव को लेकर कड़े फैसले लेने पर भी विचार कर सकती है।

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