Premanand Maharaj: राधा केली कुंज अक्सर ऐसे लोगों के लिए आसरा बन जाता है, जो भीतर ही भीतर खुद से द्वंद कर रहे होते हैं। कोई मन में उठते सवालों से परेशान है, किसी को वैवाहिक जीवन में आया दुख सता रहा है। वहीं कई ऐसे भी हैं जो धन अर्जित करने की उपाय जानने गुरु प्रेमानंद महाराज के दरबार पहुंचते हैं। ऐसी एक महिला राधा केली कुंज में अपमे कामुक पति से जुड़े सवाल लेकर पहुंची। पति की कामुकता से परेशान महिला ने Premanand Maharaj के समक्ष अपनी परेशानी रखी और फिर जवाब जानने की इच्छा प्रकट की। गुरु प्रेमानंद ने इतने तार्किक भाव में महिला को गुरु मंत्र देते हुए धर्म मार्ग पर चलने का मंत्र दिया, कि वो प्रफुल्लित भाव में नजर आई।
पति की कामुकता से परेशान महिला को Premanand Maharaj का गुरु मंत्र!
48 वर्ष की एक महिला अपने पति के साथ गुरु प्रेमानंद महाराज के दरबार में जाती है और धर्म मार्ग पर चलने का रास्ता पूछती है। महिला ये भी बताती है कि उसके पति कामुक हैं और धर्म मार्ग के बीच बाधा बन जाते हैं। इसका जवाब देते हुए Premanand Maharaj कहते हैं “अगर हमें यह भाव आ जाए कि हम अपने पति की सेवा करते हैं। तो उसे काम भाव की दृष्टि से क्यों देखें? भक्ति भाव में सेवा भाव है और पति को हमने भगवान माना है। पति को हमने अपना हाथ समर्पित किया है। अगर उनका इस शरीर पर अधिकार है और वह काम भाव से इसका सेवन करते हैं, तो हमें प्रसन्न रहना चाहिए। हमें काम सुख का स्वाद नहीं लेना, लेकिन अपने पति को संतुष्ट करने के लिए हम तो उसमें ना जलन होनी चाहिए ना खुशी होनी चाहिए।”
गुरु Premanand Maharaj आगे कहते हैं कि “संभव होना चाहिए मेरी कोई इच्छा नहीं है आप हमारे पति हैं जैसी आज्ञा करें। धर्म में काम भगवान का स्वरूप है वो निषेध नहीं है। अधर्म में काम भाव निषेध है। किसी अन्य पुरुष के प्रति आपकी भावना हो तो ये निंदनीय है लेकिन अपने पति यदि ऐसा करते हैं, तो हमें शोभा होना चाहिए ना कि हमें रोष होना चाहिए।”
गुरु प्रेमानंद महाराज की महिला से खास बात
कामुक पति से जुड़े सवाल लेकर राधा केली कुंज आश्रम पहुंची महिला से खास बात करते हुए गुरु Premanand Maharaj कहते हैं कि “उसे (काम भाव) नकारात्मक भाव में मत लीजिए। आपकी वाणी के द्वारा ही और अब वो चीजें बार-बार आंखों के सामने आ जाती है जब भी ऐसा होता है। देखो इस शरीर को प्रिय अपना मत मानो। अपना स्वरूप मत मानो। हमारा कोई अधिकार नहीं। ऐसे हमने तन मन धन सब भगवान को दे दिया और अपने पति में हम भगवान की भावना करते हैं। केवल सोच बदलनी है। हमें धर्म के विरुद्ध नहीं, बल्कि धर्म से युक्त चलना है। अगर वह निष्काम है तब आप भी निष्काम रहिए। लेकिन अगर वह सकाम है और आप उनका साथ नहीं देते फिर वह इधर-उधर दृष्टि डालें तो साथी बिगड़ रहा है ना। ऐसे में एक-दूजे का ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी है।”