Premanand Maharaj: आंखों में आंसू, चेहरे पर बेबसी लिए एक औलाद गुरु प्रेमानंद महाराज के दरबार में पहुंचा। ये वाकया करीब 9 महीने पहले का है। कांपते स्वर में युवक कहता है कि मेरे माता-पिता के सामने आय का कोई साधन नहीं है। मैं जब कभी भी उन्हें कुछ धन देना चाहता हूं तो मेरी धर्म पत्नी को नहीं अच्छा लगता। वो मुझे रोकती है और फिर कलेश को जन्म देती है। स्थिति को देखते हुए मां-बाप ने मुझसे पैसे लेने बंद कर दिए हैं। वो दुखी रहते हैं। मैं विवश हूं। ऐसी अवस्था में क्या करूं? Premanand Maharaj ने शख्स की बेबसी और कोमल हृदय से निकले सवाल का जवाब बड़े तार्किक अंदाज में दिया है। गुरु प्रेमानंद का ये जवाब उन सभी लोगों के लिए है जिनकी पत्नियां मां-बाप की सेवा में रोड़ा बनती हैं।
मां-बाप की सेवा में रोड़ा बनती है पत्नी, तो अपनाएं Premanand Maharaj द्वारा सुझाया नुस्खा!
भजनमार्ग के आधिकारिक एक्स हैंडल से जारी वीडियो में गुरु प्रेमानंद कहते हैं कि “बच्चाे आप अपने मां-बाप के प्रति बहुत दयालु हो, लेकिन आपको पत्नी को थोड़ा विवेकवान होना पड़ेगा। माता-पिता के पास अर्थ पहुंचाओ और उनके पैर छूके कहो कि हमारा रोम-रोम एक-एक बूंद खून आपकी सेवा के लिए है। आप अगर ना कहेंगे तो ठीक नहीं रहेगा। देखो तुम्हारी पत्नी भी ना नाराज हो और तुम्हारे माता-पिता की सेवा बने इसके लिए थोड़ी बेईमानी करो। अपनी पेमेंट से यद्यपि वो ईमानदारी है कि जैसे पत्नी का अधिकार आपके धन पर है, वैसे ऐसे माता-पिता का भी अधिकार है। माता- पिता के संयोग से शरीर पुष्ट हुआ है और पत्नी उसी शरीर का भोग कर रही है। तो माता-पिता का अधिकार प्रथम है।”
गुरु Premanand Maharaj आगे कहते हैं कि “हम बेईमानी इसलिए कह रहे कि झगड़ा ना हो, लेकिन परस्पर अनुशासन तो होना चाहिए। यदि वह नहीं समझती है कि मां-बाप ने पैदा किया, इनका भी अधिकार है तो तुम जो पूरी पेमेंट पाते हो केवल पत्नी को ही दे दो यह अधर्म है। तुम्हारे माता-पिता यदि और भाई सब सुविधा सेवा कर रहे हो तो भी कर्तव्य बनता है। जो भी संभव हो मां-बाप की चरणों में रखो।
पत्नी को हैंडल करने का रामबाड़ उपाय!
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि “अपनी पत्नी को आप ही संभाल सकते हो। पत्नी को प्यार दुलार और ज्ञान के द्वारा संभालिए, उसको समझाइए कि अच्छा ठीक है आज तुम कर लो हमारे मां-बाप के साथ और हमारे तुम्हारे से जो संतान पैदा होगी वो हमारा तुम्हारा ऐसे स्वागत करेगी तो। यदि हमारी बहू आएगी और वो कहेगी चवन्नी नहीं देना तब बोलो तुम्हारी दुर्दशा क्या होगी। जब उठने लायक नहीं रहोगे तो कैसे जीवन यापन करोगी। माता-पिता की एक अवस्था आती कि उठने लायक नहीं होते और उस वृद्ध शरीर को उस समय सेवा की आवश्यकता होती है। ऐसे में यदि हम मां-बाप की सेवा करेंगो, तो हमारी औलाद भी हमारी सेवा करेगी।”