Bihar Politics: पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की बढ़ती सक्रियता बिहार की राजनीति में अंदरखाने खूब सुर्खियां बटोर रही है। नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरू का बिहार आना और लालू यादव या Tejashwi Yadav से मुलाकात तक न करना भी कई सियासी संभावनाओं की ओर संकेत दे रहा है। इससे इतर एक Lalu Yadav के RJD द्वारा आयोजित की गई एक इफ्तार पार्टी भी बिहार पॉलिटिक्स में चर्चा का केन्द्र बनी है। RJD इफ्तार पार्टी में पशुपति पारस का आना और Congress नेताओं का नदारद रहना कई तरह के सवाल खड़ा कर रहा है। क्या महागठबंधन में तालमेल ठीक है? क्या Bihar Politics में आने वाले दिनों में कुछ बड़ा देखने को मिल सकता है? तेजस्वी यादव क्या राहुल गांधी की रणनीति और पप्पू यादव, कन्हैया कुमार की बढ़ती सक्रियता से खफा हैं? ये तमाम ऐसे सवाल हैं जिनके इर्द-गिर्द इन दिनों बिहार पॉलिटिक्स घूम रही है।
Congress ने सुनी की RJD की महफिल, तो Bihar Politics में उठे कई सवाल!
पटना में राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के आवास पर हुई इफ्तार पार्टी से कांग्रेस नेताओं ने एकदम दूरी बना ली। राजद की ओर से उन्हें निमंत्रण मिला था या नहीं, ये अब भी सवालों के घेरे में है। हालांकि, पूर्व में RJD इफ्तार पार्टी आयोजन में Congress महागठबंधन का हिस्सा होने के नाते बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व लालू यादव के करीबी माने जाने वाले अखिलेश सिंह की विदाई और राजा राम को सूबे की कमान देना कांग्रेस की नई रणनीति की ओर इशारा कर रहा है। दावा किया जा रहा है कि बिहार पॉलिटिक्स में कांग्रेस, राजद की छत्रछाया से बाहर निकलकर अपनी पैठ जमा रही है। यही वजह है कि कांग्रेस नेता RJD की ओर रुख करने से बच रहे हैं। हालांकि, इन तमाम संभावनाओं व संभावित समीकरणों ने Bihar Politics में चर्चा का एक नया विषय छेड़ दिया है।
क्या बिहार पॉलिटिक्स में Pappu Yadav, Kanhaiya Kumar की बढ़ती सक्रियता से खफा हैं तेजस्वी?
सियासी टिप्पणीकार कई संभावनाओं की ओर इशारा कर रहे हैं। उनकी नजर में नए प्रभारी कृष्णा अल्लवारू का बिहार आना, लालू यादव के करीबी अखिलेश सिंह की विदाई और पप्पू यादव, कन्हैया कुमार की बढ़ती सक्रियता RJD के लिए खटक हो सकती है। एक ओर Lalu Yadav के साथ आरजेडी कैडर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। वहीं दूसरी ओर Pappu Yadav महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका चाहते हैं। कन्हैया कुमार भी अपनी बेबाक शैली से युवाओं को साधकर Bihar Politics में कांग्रेस की साख मजबूत करने में जुट गए हैं। इन सबसे इतर है राहुल गांधी व कांग्रेस हाईकमान का प्रदेश नेतृत्व को मौन समर्थन, जो महागठबंधन में तालमेल गड़बड़ होने के आसार व्यक्त कर रहा है।
ये सब कुछ दर्शाता है कि कांग्रेस अब RJD की छत्रछाया से बाहर निकल बिहार पॉलिटिक्स में अपनी खोई धाक वापस लेने को बेताब है। हालांकि, इसका कितना लाभ होगा ये तो भविष्य के गर्भ में है। ये भी देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस आलाकमान लालू यादव, तेजस्वी यादव समेत आरजेरी कैडर को कैसे मैनेज करती है। साथ ही इस बात पर भी निगाहें हैं कि क्या पप्पू यादव, कन्हैया कुमार जैसे नेताओं की सक्रियता और तेजस्वी का खफा होगा महागठबंधन में दरार का कारण बन सकता है? इन तमाम संभावनाओं पर सबकी निगाहें रहेंगी और Bihar Politics से जुड़े पल-पल के अपडेट साझा किए जाएंगे।