Bangladesh Protest: बांग्लादेशी आवाम एक बार फिर सड़कों पर उतर चुकी है और इसी के साथ लोगों के सामने लग गया है सवालों का अंबार। Sheikh Hasina सरकार के तख्तापलट के बाद क्या मोहम्मद युनुस भी इसका शिकार होंगे? क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार तत्कालीन प्रदर्शन से निपट पाएगी? क्या Muhammad Yunus की कुर्सी बचेगी? Bangladesh Protest ने ऐसे कई सवालों को जन्म दे दिया है। इन सवालों का कारण है ‘जुलाई क्रांति’ के ऐलान से जुड़ी सुगबुगाहट। हालांकि, अब बांग्लादेश में प्रदर्शन शुरू होने के बाद अंतरिम सरकार की ओर से पक्ष सामने आया है। छात्रों के शहीद मीनार पर पहुंचने के साथ ही मोहम्मद युनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलमने कहा है कि सरकार की ओर से जुलाई क्रांति के ऐलान की कोई तैयारी नहीं है।
Bangladesh Protest ‘जुलाई क्रांति’ की सुगबुगाहट के बीच छिड़ा संग्राम!
राजधानी ढ़ाका के शहीद मीनार पर छात्रों का हुजुम उमड़ने लगा है। ये वही छात्र हैं जिन्होंने शेख हसीना की सत्ता को उखाड़ फेंका जिसके बाद मोहम्मद युनुस की तोजपोशी हुई। लेकिन अब बांग्लादेश में प्रदर्शन कर अंतरिम सरकार को निशाने पर लिया जा रहा है। इसकी खास वजह है ‘जुलाई क्रांति’ को लेकर छिड़ी चर्चा। Bangladesh Protest के सहारे प्रदर्शनकारी छात्र अंतरिम सरकार को घुटना टेकने और ‘जुलाई क्रांति’ के साथ छेड़छाड़ न करने को मजबूर कर रहे हैं। ढ़ाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जुलाई क्रांति लागू करने को लेकर उनकी कोई तैयारी नहीं है। Muhammad Yunus की अंतरिम सरकार अपना स्टैंड क्लियर करने पर इसलिए भी मजबूर हुई क्योंकि शेख हसीना के कार्यकाल में उन्हें छात्रों की शक्ति का एहसास हो चुका है।
क्या Sheikh Hasina के बाद Muhammad Yunus शासन का होगा तख्तापलट?
शहीद मीनार पर ‘एकता के लिए मार्च’ में जुटी आवाम ने कई नए सवालों को जन्म दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या Bangladesh Protest मोहम्मद युनुस शासन के तख्तापलट का कारण बनेगा? क्या Sheikh Hasina के बाद युनुस की सत्ता जाएगी? बता दें कि ढ़ाका में शहीद मीनार पर जारी प्रदर्शन के बीच इस तरह के सवाल कयासबाजी का हिस्सा हैं। विदेशी मामलों पर नजर रखने वाले टिप्पणीकारों की मानें तो बांग्लादेश में शुरू हुआ ये प्रदर्शन सिर्फ ‘जुलाई क्रांति’ को लेकर था। अंतरिम सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जुलाई क्रांति को लेकर उसकी कोई तैयारी नहीं है। ऐसे में संभव है कि प्रदर्शनकारी आवाम जल्द ही सड़कों को छोड़ वापस लौट जाए और एक बार फिर Muhammad Yunus का शासन शिथिल गति से चलता रहे। ऐसे में शेख हसीना की तरह अंतरिम सरकार भी तख्तापलट का शिकार होगी, इसकी संभावना फिलहाल न के बराबर है।