Muhammad Yunus: इसमें कोई शक नहीं कि बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। शेख हसीना को सत्ता छोड़े अभी वर्ष भर भी नहीं हुए और कट्टरपंथी नंगा नाच करने पर उतर आए हैं। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के ज़हन में न जानें क्या चल रहा है कि वो कट्टरपंथियों पर काबू पाने की माकूल प्रयास भी नहीं कर रही। इसी क्रम में आज एक और हिंदू नेता की पहले अपहरण हुआ और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया गया। बड़ा सवाल है कि क्या Muhammad Yunus बांग्लादेश को पाकिस्तान बनाने की जिद अपना चुके हैं?
ऐसा इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि युनूस के शासनकाल में कट्टरपंथियों का अत्याचार बढ़ता जा रहा है। ये ठीक वैसे ही है जैसे पाकिस्तान में जिला-उल-हक और परवेज मुशर्रफ समेत अन्य हुकमरानों ने अपनी आवाम को फ्री हैंड दे रखा था। यही वजह है कि आज जब हिंदू नेता भाबेश चंद्र रॉय की हत्या से जुड़ी खबरें आई हैं, तो कई सवाल उठ रहे हैं।
बांग्लादेश को क्या Pakistan बना के ही दम लेंगे Muhammad Yunus?
यदि ऐसे सवाल उठ रहे हैं तो ये बांग्लादेश की आवाम के लिए बेहद चिंतनीय है। एक ऐसा दशक था जब बांग्लादेश के विकास की गाथा गाई जा रही थी। शेख हसीना के नेतृत्व में Bangladesh ने कई कीर्तिमान गढ़े। हालांकि, जब से तख्तापलट हुआ और मोहम्मद यूनुस को मुल्क की कमान मिली, तब से स्थिति लचर है। आए दिन कट्टरपंथियों के घृणित कृत्य से जुड़ी खबरें आती है। आज भी हिंदू नेता भाबेश चंद्र रॉय की हत्या से जुड़ी खबर आई जिनका पहले अपहरण किया गया और फिर मौत के घाट उतारा गया। हिंदू नेता भाबेश उत्तर-पश्चिम में दिनाजपुर के बसुदेवपुर गांव के निवासी थे। Muhammad Yunus के शासनकाल में कट्टरपंथी अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाने पर ले रहे हैं जिसकी ज़द में भाबेश भी आ गए और जान दे बैठे।
ये सारे घटनाक्रम एक पल के लिए ज़हन में पाकिस्तान की तस्वीर बनाते हैं जहां ऐसे ही अल्पसंख्यक हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाने पर लिया जा चुका है। जिया-उल-हक, परवेज मुशर्रफ, शाहबाज शरीफ, नवाज शरीफ, इमरान खान समेत अन्य तमाम हुकमरानों के शासनकाल में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमला हुआ है। इसका असर ये हुआ कि कट्टरपंथी बढ़ती गई और मुल्क गरीब होता गया। यही स्थिति आज बांग्लादेश में उत्तपन्न हो रही है। आर्थिक मोर्चे पर तेजी से विकास रहा मुल्क अब कट्टरपंथियों की भेंट चढ़ गया है और कंगाली की राह पर आगे बढ़ रहा है। यही वजह है कि Muhammad Yunus के शासनकाल पर प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं।
मोहम्मद यूनुस के शासनकाल में तेजी से बढ़ रहा अत्याचार का सिलसिला
फ्लैशबैक में जाएंगे तो आपको अखबारों की वो सुर्खियां याद आएंगी जो बांग्लादेश में कट्टपंथ की बढ़ती सक्रियता का प्रमाण हैं। चिन्मय दास को निशाने पर लेना हो या भाबेश चंद्र राय की हत्या हो, ये सब कट्टरपंथियों के कुकृत्यों का उदाहरण है। अगस्त 2024 के बाद शेख हसीना की विदाई ने Bangladesh में काफी कुछ बदला। Muhammad Yunus के शासनकाल में आज स्थिति अलग है। जो बांग्लादेश पहले भारत से मित्र भाव रखता था, उसकी नजदीकियां अब चीन और पाकिस्तान से बढ़ी हैं। इसके अलावा मोहम्मद यूनुस के शासनकाल में हिंदुओं पर हमलों का सिलसिला भी बढ़ा है जो कि हालिया स्थिति को दर्शाता है। फिलहा स्थिति ये है कि यदि कट्टरपंथियों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो बांग्लादेश को पाकिस्तान बनने से कोई नहीं रोक सकता है।