Kunal Kamra: ओला कंपनी के सीईओ Bhavish Aggarwal और मशहूर कॉमेडियन Kunal Kamra एक बार फिर आप में भीड़ गए है, हालांकि इस बार जो विवाद वह भारत के इतिहास से जुड़ा हुआ है। गौरतलब है कि दरअसल इस विवाद की शुरूआत जब हुई जब लेखक अमीश त्रिपाठी के ट्वीट को भाविश अग्रवाल ने रीट्वीट करते हुए लिखा कि “सती का कोई सबूत ढूंढना कठिन है लेकिन मध्ययुगीन यूरोप में डायन जलाने का सबूत ढूंढना बहुत आसान है”। वहीं अब यूजर्स भी इस विवाद पर कूद पड़े है और अपनी- अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है। आइए समझते है कि क्या है पूरा विवाद?
Bhavish Aggarwal ने सती प्रथा को लेकर की थी टिप्पणी
गौरतलब है कि मशहूर लेखक अमीश त्रिपाठी ने एक वीडियो शेयर किया था उन्होंने लिखा कि “सती – तथ्य या कल्पना? अधिक जानने के लिए अमीश के साथ इम्मोर्टल इंडिया पॉडकास्ट का यह एपिसोड देखें”।
इसी को रीट्वीट करते हुए ओला के सीईओ Bhavish Aggarwal ने कहा कि “सती का कोई सबूत ढूंढना कठिन है लेकिन मध्ययुगीन यूरोप में डायन जलाने का सबूत ढूंढना बहुत आसान है”। जिसके बाद से ही यह पूरा विवाद खड़ा हो गया है, इसके बाद कॉमेडियन Kunal Kamra ने इस मामले में भाविश अग्रवाल पर जोरदार तंज कसा।
Bhavish Aggarwal के ट्वीट पर Kunal Kamra ने दी प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि Bhavish Aggarwal के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए Kunal Kamra ने कहा कि “राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के विरुद्ध संघर्ष किया; इसे वर्ष 1829 में समाप्त कर दिया गया था। भारत में सती का अंतिम प्रलेखित मामला हाल ही में 1987 में दर्ज किया गया था।
कृपया अपने ऑटोमोबाइल के स्थिर रहने पर ध्यान दें”। जिसके बाद उन्होंने अमीश त्रिपाठी को जवाब देते हुए लिखा कि आज के सत्तारूढ़ शासन की राजनीति को उचित ठहराने के लिए हमारे इतिहास के संघर्षों को अपमानित न करें।
हिंदू धर्म प्रथाओं द्वारा नियंत्रित होता है, किताब से नहीं – यह प्रथा प्रचलित थी और सुधारवादी महिलाओं और पुरुषों ने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनके संघर्षों को अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है। पहला प्रलेखित मामला ईसा पूर्व युग का था और अंतिम मामला 1987 का था।
सती प्रथा को लेकर विवाद पर यूजर्स ने दी प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि Kunal Kamra और Bhavish Aggarwal के बीच जारी विवाद पर एक यूजर ने लिखा कि
“सती कोई मिथक नहीं थी; यह वास्तविक था, और बहादुर सुधारकों ने इसे समाप्त करने के लिए संघर्ष किया। इसे ‘अस्तित्वहीन’ कहना उनके संघर्ष को ख़ारिज कर देता है”। एक और यूजर ने लिखा कि
“हिंदू अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों को पुस्तक (ब्राह्मण और सूत्र) द्वारा नियंत्रित किया जाता है, हिंदू धर्मग्रंथों के बारे में आपकी बुनियादी समझ त्रुटिपूर्ण है”। हालांकि अब देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद कब शांत होता है।