Sambhal Excavation: मंदिर, मस्जिद और बावड़ी, संभल में इन तीनों को लेकर चर्चा जोरों पर छिड़ी है। संभल के अलावा यूपी के अन्य जिलों व उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में भी मंदिर, मस्जिद और बावड़ी सुर्खियां बटोर रहे हैं। दरअसल, संभल (Sambhal) के चंदौसी में खुदाई के दौरान एक बड़ी बावड़ी मिली है। चंदौसी (Chandausi) के स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले हम सभी वहां जाते थे, हमारे मेहमान जाते थे। फिर बाद में मस्जिद बना ली गई और अब अनुमति नहीं दी जाती है। एक स्थानीय बुजुर्ग ने इतिहास की याद दिलाते हुए बावड़ी को सनातन संस्कृति का हिस्सा बताया और मस्जिद निर्माण को अतिक्रमण बता कर बड़ी बात कह दी है।
Sambhal Excavation के दौरान स्थानीय लोगों को याद आया इतिहास
“बेला सती और आल्हा उदल के बीच जब लड़ाई हुई तो बेला लड़ाई में मारी गईं। तब यहां बेला का थान बना पहले से ही। अब इन लोगों ने मस्जिद बना ली है बाहर, अब नहीं झाकने देते। पहले हम और हमारे मेहमान देखने जाया करते थे। अब इन्होंने बाहर मस्जिद बना ली और हमें अंदर घूसने तक नहीं देते।” ऐसा कहना है एक स्थानीय बुजुर्ग महिला का जिनकी उम्र 55-60 वर्ष से ज्यादा नजर आ रही है। वही एक अन्य बुजुर्ग कहते हैं कि “आल्हा उदल की लड़ाई इतिहास में दर्ज है। सब ने पढ़ा है। जब आल्हा उदल की लड़ाई हुई तो कई सारे वस्तु तहस-नहस हुए। अतिक्रमण कर आक्रांताओं ने तब कई मंजिल इमारत खड़ी कर ली।”
संभल के चंदौसी में खुदाई के दौरान क्यों मचा संग्राम?
24 नवंबर को शाही मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद संभल प्रशासन अलर्ट पर है। इसी कड़ी में बीते दिनों बिजली चोरी के खिलाफ भी एक अभियान चलाया गया। 4 दशक से ज्यादा समय से बंद एक शिव मंदिर को भी अतिक्रमण से मुक्त कर खोला गया। इसके बाद बीते शनिवार को में राजस्व विभाग द्वारा चंदौसी में खुदाई के दौरान एक विशालकाय बावड़ी मिली। स्थानीय जिलाधिकारी के मुताबिक बावड़ी की ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है। जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर से निर्मित है। चंदौसी में इस बावड़ी के मिलने के बाद संग्राम छिड़ा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि खुदाई के दौरान मिली बावड़ी सवा सौ से डेढ़ सौ वर्ष पुरानी हो सकती। बावड़ी को सामाजिक और धार्मिक केंद्र भी माना जा रहा है जिसको लेकर संग्राम छिड़ा है।