Health Tourism: भारत को अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए विश्वभर में जाना जाता है। आजकल, यह AYUSH प्रणाली की वजह से स्वास्थ्य पर्यटन के वैश्विक हब के रूप में उभर रहा है। आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में Health Tourism का विस्तार
आयुष मंत्रालय के प्रयासों के साथ, भारत ने चिकित्सा पर्यटन में वृद्धि देखी है। 2023 में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को स्वास्थ्य और कल्याण उपचार के लिए भारत आने में सुविधा देने के लिए मेडिकल वीजा प्रावधानों की शुरुआत की। इसके परिणामस्वरूप, जुलाई 2023 से दिसंबर 2024 तक, विदेशियों को उपचार हेतु 123 नियमित आयुष वीजा और 221 ई-आयुष वीजा जारी किए गए।
क्या है आयुष वीजा?
आयुष वीजा विशेष रूप से उन विदेशी नागरिकों के लिए है, जो आयुष चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से उपचार लेने के उद्देश्य से भारत आना चाहते हैं। इस श्रेणी में चार प्रकार के वीजा होते हैं: आयुष वीजा, आयुष अटेंडेंट वीजा, ई-आयुष वीजा और ई-आयुष अटेंडेंट वीजा। ये प्रावधान चिकित्सा पर्यटकों और उनके साथ आने वाले अटेंडेंट्स के लिए यात्रा को आसान बनाते हैं।
आयुष सुविधाओं और चिकित्सकों का विस्तार
भारत ने आयुष चिकित्सा के लिए अपनी सुविधाओं का विस्तार किया है। देश में वर्तमान में 755,780 से अधिक पंजीकृत आयुष चिकित्सक हैं। इसके अतिरिक्त, 3,844 आयुष अस्पताल और 36,848 डिस्पेंसरी भी स्थापित की गई हैं, जो पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में उपचार और देखभाल प्रदान करती हैं। सरकार ने 886 अंडरग्रेजुएट और 251 पोस्टग्रेजुएट कॉलेज भी स्थापित किए हैं।
डिजिटल परिवर्तन और वैश्विक विस्तार: आयुष प्रणाली का डिजिटलीकरण भी तेजी से हो रहा है। आयुष ग्रिड और ई-संजीवनी जैसी पहलों के माध्यम से, टेलीमेडिसिन सेवाएं दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचाई जा रही हैं। मंत्रालय ने 39 देशों में आयुष सूचना केंद्र स्थापित किए हैं, जो वैश्विक स्तर पर जानकारी प्रसार का कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा, 103 से अधिक देशों के साथ साझेदारी कर आयुष प्रणालियों को बढ़ावा दिया जा रहा है और भारत में जमनगर में WHO ग्लोबल पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना की गई है।