Tuesday, May 20, 2025
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ज्यादा शक करना Mental Disorder का बढ़ा सकता है खतरा, पर्सनालिटी पर पड़ता है असर

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Health Tourism: भारत को अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए विश्वभर में जाना जाता है। आजकल, यह AYUSH प्रणाली की वजह से स्वास्थ्य पर्यटन के वैश्विक हब के रूप में उभर रहा है।

Mental Disorder: पति पत्नी का एक दूसरे पर शक करना भी मेंटल डिसऑर्डर का खतरा बताया गया है। इस बारे में जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिपाठी ने अपनी राय व्यक्त की है। उनका कहना है कि महिला शादी के बाद अपने पति पर शक करने लगी थी। उसे लगता था कि उसके पति का कहीं और अफेयर चल रहा है और लगातार 2 सालों तक इसके बारे में पता करती रही। लेकिन महिला को कोई ऐसा सबूत नहीं मिला। जब इस महिला का केस मनोचिकित्सक के पास आया तो पता चला कि महिला ने सिर्फ शक के चलते ही अपना करियर छोड़ दिया था।

डिसऑर्डर का शिकार हुई थी महिला

पति पर शक के बाद महिला ने उसका फोन भी कुछ दिनों तक अपने पास रखा था और कई ऐसी काल्पनिक घटनाएं भी हुई। इस वजह से ही पति का जीवन भी कष्टदायक रहा। इसके बाद महिला के घर वालों ने उसे मनोचिकित्सक के पास जाने की सलाह दी। मनोचिकित्सक के मुताबिक महिला को डिल्यूजनल डिसऑर्डर हुआ था। इस डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति शक के जाल में आ जाता है और अपनी ऐसी काल्पनिक घटनाओं को बना लेता है जो घटित ही नहीं हुई। महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी इस डिसऑर्डर का शिकार हो सकते हैं। मनोचिकित्सक ने डिसऑर्डर के कुछ प्रकारों के बारे में भी जानकारी दी है।

डिसऑर्डर के प्रकार

डिल्यूजनल जेलेसी- जब व्यक्ति लगातार इस बात का ख्याल करता है कि उसका साथी उसके साथ विश्वासघात कर रहा है तो वह डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है।

इरोटोमैनिक- यह एक ऐसा भ्रम है जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उससे ऊंची स्थिति वाला व्यक्ति प्यार करता है और वह इसी तरह की घटनाएं भी क्रिएट करता है।

भव्यता का प्रकार- इस भ्रम में व्यक्ति को ऐसे लगता है कि वह खुद के भीतर एक अद्भुत शक्ति और प्रतिभा महसूस करता है। उसे ऐसे लगता है वह कोई देवी, देवता, कोई सेलिब्रिटी है या उससे प्रभावित है।

थॉट ब्रॉडकास्टिंग- यह एक ऐसा भ्रम है, जिसमें विचार दूसरे द्वारा प्रोजेक्ट किए जाते हैं और व्यक्ति को लगता है कि जो वह सोच रहा है उस विचार को उसने पहले ही सोच होता है।

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डिसऑर्डर की वजह और इसका इलाज

मनोचिकित्सक ओमप्रकाश का कहना है कि कुछ अध्ययनों में देखा गया कि कई बायोलॉजिकल कंडीशन जैसे सब्सटेंस एब्यूज, मेडिकल कंडीशन, नर्व रिलेटेड कंडीशन डिल्यूजनल पैदा कर सकती हैं। इसी वजह से व्यक्ति मानसिक तौर पर काफी प्रभावित होता है। मनोचिकित्सा में काउंसलिंग के जरिए इसके उपचार के बारे में बताया है।

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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, DNP INDIA न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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