गुरूवार, जुलाई 25, 2024
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Viagra: क्या ED में काम वाली यह दवा नवजात बच्चों के लिए होगी कारगर? जानिए क्या कहती है स्टडी

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Viagra: वियाग्रा एक दवा तो है लेकिन इसे सुनने के बाद अजीबोगरीब ख्याल मन में आने लगते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं पुरुषों के सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवा के रूप में प्रचलित वियाग्रा की। दरअसल इस दवा का इस्तेमाल इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी ईडी के लिए किया जाता है। लेकिन इसके और भी कई लाभ हैं और इसी में से एक है नवजात शिशु की जान भी बचाई जा सकती है। दरअसल एक शोध में या यह चला है कि इस दवा का इस्तेमाल उन बच्चों के इलाज में किया जा सकता है जिसे गर्भावस्था के दौरान या जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

Viagra प्रीमेच्योर बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं

कहा जाता है कि यह दवा प्री मेच्योर बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। जिन बच्चों का दिमाग गर्भ में सही ढंग से विकसित नहीं हो सका और उसे ऑक्सीजन की कमी हुई। ऐसे में यह दावा किया जा रहा है कि मां अगर वियाग्रा का सेवन करें तो गर्व में ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है और ऐसे में बच्चों को बेहतर पोषण और ऑक्सीजन मिलता है। प्रीमेच्योर बच्चों के लिए यह दवा किसी वरदान से कम नहीं है।

Viagra से पहले हाइपोथर्मिया ही एकमात्र उपाय

ऑक्सीजन की कमी के साथ जन्म लिए बच्चे के इलाज काफी सीमित है। डॉक्टर रिस्क लेना नहीं चाहते हैं ऐसे में मस्तिष्क क्षति को रोकने के लिए हाइपोथर्मिया ही एकमात्र उपाय है। लेकिन कहा जाता है कि इससे 29 प्रतिशत शिशुओं को तंत्रिका संबंधी बीमारी झेलनी पड़ सकती है।

ऑक्सीजन की कमी में असरदार है Viagra

ऐसे में कनाडा में मॉन्ट्रियल चिल्ड्रन हॉस्पिटल की एक शोध में कहा गया है कि वियाग्रा ब्रांड के सिल्डेनाफिल एक असरदार उपाय है। चिकित्सीय हाइपोथर्मिया के बावजूद शिशुओं में सिल्डेनाफिल का उपयोग सुरक्षित पाया गया। इस शोध में कहा गया कि जिस बच्चे के मस्तिष्क में एन्सेफैलोपेथी यानी जन्म के समय ऑक्सीजन की वजह से क्षति हुई है उनमें सिल्डेनाफिल सुरक्षित है।

Viagra के इस्तेमाल पर चल रहा शोध

हालांकि शोध में यह भी कहा गया है कि सिल्डेनाफिल वैसे तो सस्ता है और काफी आसान भी है। ऐसे में अगर शोध में यह अगले चरण में भी मददगार साबित होता है तो दुनिया भर में नवजात और एन्सेफैलोपेथी से पीड़ित शिशुओं के लिए यह वरदान साबित हो सकता है। फिलहाल इस शोध में एन्सेफेलोथी के साथ 36 सप्ताह या उससे अधिक के गर्भ में पैदा हुए 24 शिशुओं को रखा गया है।

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Anjali Wala
Anjali Walahttp://www.dnpindiahindi.in
अंजलि वाला पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, अंजलि DNP India वेब साइट में बतौर Sub Editor काम कर रही हैं। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है।

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