Holashtak 2025: फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार Holashtak 2025 के दौरान वर्जित कार्य करने से साधक को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल होली से पहले के आठ दिन जिन्हें होला अष्टक के नाम से जाना जाता है। ये विशेष तौर पर किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य से रहित होते हैं। होलाष्टक के शुरू होते ही होली का त्योहार आ जाता है। Holashtak के आठ दिनों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। इन आठ दिनों में सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, नए घर में प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना आदि वेदों और पुराणों में वर्जित बताए गए हैं। इस वर्ष होलाष्टक 07 मार्च 2024 से प्रारंभ होकर 13 मार्च तक रहेगा।
Holashtak में क्यों नहीं किया जाता शुभ कार्य?
आपको बता दें कि होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं होता है। हिंदू कथाओं के अनुसार, राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप ने कथित तौर पर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा न करने की सलाह दी थी। प्रह्लाद ने अपने पिता की मनाही के बावजूद भगवान विष्णु की पूजा करना जारी रखा। इससे Hiranyakashyap क्रोधित हो गया। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक, उसने आठ दिनों तक प्रह्लाद को तरह-तरह से प्रताड़ित किया।
उसने अपने पुत्र को मारने का भी प्रयास किया। फिर भी, भगवान विष्णु के प्रति अपनी अटूट भक्ति के कारण प्रह्लाद लगातार सुरक्षित रहा। आठवें दिन यानी Phalguna Purnima को प्रह्लाद को मारने का काम हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को सौंपा। होलिका को अग्नि से सुरक्षा का वरदान प्राप्त था। होलिका Prahlad को गोद में लेकर अग्नि के सामने बैठ जाती है। हालांकि, भगवान विष्णु एक बार फिर अपने भक्त को बचा लेते हैं।
प्रह्लाद तो अग्नि से बच जाता है, लेकिन Holika जलकर राख हो जाती है। इसी कारण से होलिका दहन से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है और इन्हें शुभ दिन नहीं माना जाता है। यह भी माना जाता है कि होलाष्टक की शुरुआत उस दिन हुई थी जब भगवान श्री भोले नाथ ने क्रोधित होकर कामदेव को भस्म कर दिया था।
Holashtak में कौन से कर्मकांड नहीं करने चाहिए
मालूम हो कि हिंदू धर्म में होलाष्टक एक ऐसा समय होता है जब कोई भी शुभ कार्य या सोलह संस्कार नहीं किए जाते हैं। मान्यता है कि अगर इस दिन किसी व्यक्ति का मृत्यु संस्कार किया जाना है तो उससे पहले शांति पूजा कर लेनी चाहिए। उसके बाद ही अंतिम संस्कार किया जा सकता है। Holashtak को भक्ति या ध्यान के लिए अच्छा समय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह परिवर्तन के लिए सबसे अच्छा समय है। होलाष्टक के दौरान स्नान और दान-पुण्य भी किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यह सामान्य सार्वजनिक सूचना पर आधारित है। लेखक रुपेश रंजन इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले संबंधित विषय के जानकार से सलाह अवश्य लें।