रविवार, मई 12, 2024
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Budget 2024: इस बजट में इंश्योरेंस इंडस्ट्री को है मोदी सरकार से खास उम्मीदें, जानें इच्छा सूची

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Budget 2024: जैसे-जैसे हम 1 फरवरी, 2024 के करीब पहुंच रहे हैं, सभी की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आगामी अंतरिम केंद्रीय बजट 2024 की घोषणा पर टिकी हैं। अन्य क्षेत्रों की तरह, बीमा उद्योग भी महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद कर रहा है। जो वित्तीय परिदृश्य को आकार दे सकते हैं। कर सुधारों से लेकर विनियामक समायोजन तक, बीमा क्षेत्र क्या उम्मीद करता है इसकी एक झलक यहां दी गई है।

Budget 2024: बीमा श्रेणी के टैक्स पर पुनर्विचार

इंश्योरेंस इंडस्ट्री का मानना है कि उचित संतुलन खोजने के लिए संपूर्ण बीमा श्रेणी के टैक्स पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। धारा 80 सी के तहत 150000 रुपये की अधिकतम डिडक्टिबल लिमिट पीपीएफ, लोन इत्यादि जैसे अन्य स्वीकार्य खर्चों के कारण समाप्त हो जाती है।

(Budget 2024) इस अंतर को भरने के लिए केवल टर्म इंश्योरेंस के लिए एक समर्पित छूट श्रेणी घोषित करने की जरूरत है। इससे करदाताओं को अधिक कवरेज वाला टर्म प्लान चुनने के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही 18% की जीएसटी दर पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत है।

Budget 2024: पेंशन से जुड़ी योजनाओं को टैक्स राहत

लोग रिटायरमेट प्लानिंग को बाद के लिए टाल देते हैं जो आर्थिक रूप से सही निर्णय नहीं है। इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि पेंशन उत्पादों को राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के समान टैक्स ट्रिटमेंट मिले। करों के संदर्भ में पेंशन और वार्षिकी उत्पादों को समान टैक्स ट्रिटमेंट मिलने से वे लंबी अवधि के लिए फाइनेन्शियल प्लानिंग करने वाले लोगों के लिए अधिक आकर्षक बन जाएंगे।

इंश्योरेंस इंडस्ट्री का कहना है कि मौजूदा सिस्टम मूलधन और बयाज दोनों सहित पूरी एनुअल इनकम पर टैक्स लगाती है। (Budget 2024) पेंशन उत्पादों को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देने और अन्य निवेश साधनों के साथ समानता सुनिश्चित करने के लिए, हम इन पेंशन उत्पादों से प्राप्त एनुअल इनकम को टैक्स फ्री करने की स्थिति पर विचार करने की सलाह देते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस भी एक अहम सेक्टर

महामारी के बाद की दुनिया में हेल्थ इंश्योरेंस के महत्व को कम समझना सही निर्णय नहीं है। हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में कई इनोवेशन्स को ध्यान में रखते हुए, इस इंडस्ट्री को निश्चित रूप से टैक्स संरचना में भी कुछ इनोवेशन्स की आवश्यकता है।

एक पहलू यह हो सकता है कि स्वयं, पति/पत्नी और आश्रित बच्चों के लिए अधिकतम डिडक्शन लिमिट को 50,000 रुपये और वरिष्ठ नागरिक माता-पिता के लिए 100000 रुपये तक बढ़ाया जाए। इसके अलावा, टैक्स डिस्काउंट को हेल्थ सेविंग खातों तक भी बढ़ाया जाना चाहिए जिससे लोगों को बढ़ते स्वास्थ्य देखभाल खर्चों की योजना बनाने के लिए अधिक पैसा मिलेगा।

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