Monday, May 19, 2025
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श्रम कानून, टैक्स सुधार समेत कई अन्य पहलुओं पर भारतीय उद्योग परिसंघ ने Budget 2025 के लिए वित्त मंत्रालय को दिया महत्वपूर्ण सुझाव, जानें डिटेल

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Budget 2025: संघीय बजट 2025 उपभोक्ता क्षेत्र को बढ़ावा देने का वादा करता है, जबकि दीर्घकालिक नीतियाँ शहरी आवास, बीमा और रक्षा संबंधित उद्योगों के लिए सहायक होंगी। एक हालिया रिपोर्ट में इन विकास क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी गई है,

Budget 2025: आगामी बजट 2025 से पहले, भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने व्यापार करने में आसानी (EoDB) को बढ़ाने के लिए 10-बिंदु एजेंडा पेश किया है। यह एजेंडा प्रक्रियाओं को सरल बनाने, पारदर्शिता बढ़ाने और अनुपालन बोझ को कम करने के लिए नीतिगत सुधारों पर जोर देता है, जो आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में सहायक होंगे।

Budget 2025 में नियमों को सरल बनाना का सुझाव

CII ने सभी स्तरों—केंद्र, राज्य और स्थानीय—पर नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। CII ने सुझाव दिया कि सभी नियामक अनुमोदन केवल राष्ट्रीय सिंगल विंडो सिस्टम (NSWS) के माध्यम से किए जाने चाहिए, जिससे पारदर्शिता और गति सुनिश्चित हो। इस प्रणाली को अपनाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने हेतु एक विशेष केंद्रीय बजट आवंटित किया जा सकता है। इसके अलावा, सार्वजनिक अधिकारियों को सेवाओं और शिकायत निवारण के लिए समयबद्ध सेवा की बाध्यता लागू करने वाला एक कानून बनाया जा सकता है, ताकि देरी की स्थिति में स्वचालित मंजूरी का प्रावधान हो।

विवाद निवारण तंत्र को सशक्त बनाना

व्यापार के लिए विवाद निवारण का कुशल होना आवश्यक है। आगामी Budget 2025 को लेकर CII ने सुझाव दिया कि अदालतों की क्षमता बढ़ाई जाए और वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) तंत्र को बढ़ावा दिया जाए। जिन राज्यों में मामले लंबित हैं, उन्हें अधिक वाणिज्यिक अदालतें स्थापित करनी चाहिए और मौजूदा प्रणाली की दक्षता बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा, नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) के दायरे को बढ़ाकर इसमें ट्रिब्यूनल के डेटा को शामिल किया जा सकता है, जिससे लंबित मामलों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सके।

Budget 2025 में भूमि, श्रम और पर्यावरण अनुपालन को सरल बनाने पर जोर

CII ने व्यापार के लिए भूमि अधिग्रहण को आसान बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। एक ऑनलाइन एकीकृत भूमि प्राधिकरण विकसित करना, भूमि बैंक को व्यवस्थित करना, रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करना और विवादित भूमि से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना इस दिशा में कारगर कदम हो सकता है। इसके साथ ही, श्रम कानून अनुपालनों को सरल बनाया जाना चाहिए। श्रम सुविधा पोर्टल (Shram Suvidha Portal) का दायरा बढ़ाकर इसमें सभी केंद्रीय और राज्य श्रम कानूनों को शामिल किया जा सकता है। पर्यावरण संबंधी नियमों को भी एकीकृत किया जा सकता है। जल अधिनियम, 1974 और वायु अधिनियम, 1981 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 में शामिल कर एक केंद्रीय नियामक ढांचा तैयार किया जा सकता है।

व्यापार और कर सुधार

गौरतलब है कि भारतीय उद्योग परिसंघ ने Budget 2025 को लेकर व्यापार को बढ़ावा देने के लिए CII ने सुझाव दिया कि अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर (AEO) कार्यक्रम को सरल और आकर्षक बनाया जाए। MSMEs के लिए प्रवेश मानदंड को कम करना, विलंबित शुल्क भुगतान अवधि को बढ़ाना, और नवीनीकरण प्रक्रिया को आसान बनाना इस दिशा में सहायक हो सकता है। कर विवादों को कम करने के लिए CII ने एडवांस प्राइसिंग एग्रीमेंट (APA), विवाद समाधान योजना (DRS) और बोर्ड फॉर एडवांस रूलिंग्स (BAR) जैसे तंत्रों की प्रभावशीलता बढ़ाने का सुझाव दिया है। आयकर मुकदमों की संख्या कम करने और अपील स्तर पर मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है।

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