Monday, February 10, 2025
Homeदेश & राज्यदिल्लीDelhi News: बंगाली मार्केट को एलबीजेड के प्रतिबंधों से बाहर करके भूतल...

Delhi News: बंगाली मार्केट को एलबीजेड के प्रतिबंधों से बाहर करके भूतल समेत तीन मंजिला बिल्डिंग बनाने और परिसरों में लिफ्ट की अनुमति दी अनुमति दी जाए- राघव चड्ढा

Date:

Related stories

Delhi Election Result: सियासी उतार-चढ़ाव के बीच राजधानी में AAP को झटका! यहां जाने हार के प्रमुख 5 कारण

Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है। जहां 2015 और 2020 में पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी, वहीं इस बार नतीजे कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।

Delhi Election Result: चुनावी हार-जीत से इतर गुरु Avadh Ojha का दमदार अंजाद! विपक्षी को भी बना लिया प्रशंसक; देखें Video

Delhi Election Result: विपक्षी को भी अगर कोई नेता अपना फैन बना ले, तो उसकी शख्सियत कई मायने में खास हो जाती है। Avadh Ojha का नाम उन नेताओं में एक है। हाल ही में राजनीतिक पदार्पण करने वाले अवध ओझा ने दिल्ली इलेक्शन रिजल्ट के दरम्यिान बीजेपी उम्मीदवार से मुलाकात की है।

Delhi Election Result: सियासी दंगल में पिछड़े गुरु Avadh Ojha! दांव पर Alka Lamba की साख, क्या होगा परिणाम?

Delhi Election Result: शिक्षा जगत के माहिर गुरु अवध ओझा सियासी दंगल में पिछड़ते नजर आ रहे हैं। वरिष्ठ नेत्री अलका लांबा की साख भी दांव पर है। दिल्ली इलेक्शन रिजल्ट से जुड़े शुरुआती रुझानों में BJP को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है।

राजधानी के सियासी अखाड़े में दंगल प्रारंभ! Arvind Kejriwal या Pravesh Verma? किस करवट बैठेगा सत्ता का ऊँट? देखें रुझान

Delhi Election Result: जिस सियासी अखाड़े की चर्चा जोरों पर है उसका केन्द्र राजधानी दिल्ली है। दिल्ली के दल में क्या है? चुनावी बाजी किसके हाथ लगेगी आज बहुत सी चीचें स्पष्ट हो जाएंगी।

Exit Poll को लेकर तेज हुई सुगबुगाहट! यहां समझें एजेंसियों के आंकलन लगाने की तरकीब और महत्व

Delhi Assembly Election 2025: मतदान के बीच अगर सबसे तेज किसी बात को लेकर सुगबुगाहट है, तो ये है एग्जिट पोल। Exit Poll को लेकर सवालों का अंबार लगना शुरू हो चुका है।

Delhi News: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने सोमवार को केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने एनडीएमसी के प्रॉपर्टी टैक्स में संशोधन, सरकारी आवासों में सर्वेंट क्वार्टर के दुरूपयोग को रोकने और बंगाली मार्केट में निर्माण की असमानताओं को दूर करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार संसद में वित्त विधेयक लाकर एनडीएमसी में यूनिट एरिया मेथड लागू करे, ताकि टैक्स सिस्टम सरल और पारदर्शी हो सके।

अवैध है और इसकी जांच की जाए

उन्होंने कहा कि सरकारी आवासों में कई सर्वेंट क्वार्टर किराए पर दिए जा रहे हैं या व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं, जो कि अवैध है और इसकी जांच की जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई सरकारी आवास को किराए पर न दे सके। उन्होंने कहा कि बंगाली मार्केट को एलबीजेड के प्रतिबंधों से बाहर किया जाए। साथ ही भूतल समेत तीन मंजिला बिल्डिंग बनाने और परिसरों में लिफ्ट की अनुमति दी अनुमति दी जाए। इससे यहां लोगों के बीच फैली असमानताएं दूर हो सकेंगी।

यूनिट एरिया मेथड के क्रियान्वयन के लिए एनडीएमसी अधिनियम में संशोधन किया जाए

‘‘आप’’ सांसद राघव चड्ढा ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि एनडीएमसी में संपत्ति कर आकलन के लिए यूनिट एरिया मेथड लागू करने के लिए कानून बनाने की तत्काल आवश्यकता है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एनडीएमसी ने पुराने रेंटेबल वैल्यू सिस्टम को फिर से लागू कर दिया, जिससे भ्रम और राजस्व हानि हो रही है।

2009 में एनडीएमसी ने यूएएम पद्धति लागू की, जिसमें संपत्ति कर की गणना तयशुदा प्रति वर्ग फुट यूनिट एरिया मूल्य, संपत्ति के क्षेत्रफल और एक निर्धारित घटाव कारक के आधार पर की जाती थी। यह पुरानी रेटेबल वैल्यू प्रणाली की जगह लाई गई थी, जिसमें कर का निर्धारण अनुमानित वार्षिक किराए पर किया जाता था।

यूएएम को संपत्ति कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए लागू किया गया था। अब इसे फिर से लागू करने के लिए कानूनी कदम उठाना जरूरी है, ताकि टैक्स कलेक्शन में सुधार हो और लोगों को अस्पष्ट नियमों से राहत मिले।

एनडीएमसी को केवल उप-नियम बदलकर यूएएम लागू करने का कानूनी अधिकार नहीं है

हालांकि, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि एनडीएमसी को केवल उप-नियम बदलकर यूएएम लागू करने का कानूनी अधिकार नहीं है। क्योंकि यूएएम अधिनियम, 1994 की धारा 63(1) के तहत कर प्रणाली निर्धारित की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने यूएएम पद्धति को गलत नहीं ठहराया, लेकिन कहा कि कर प्रणाली में कोई भी बदलाव केवल एनडीएमसी अधिनियम में संशोधन करके ही किया जा सकता है। इस संशोधन के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होगी।

दिल्ली के 90 फीसद हिस्सों में पहले ही यूएएम लागू हो चुका है, लेकिन एनडीएमसी क्षेत्रों में इसकी कानूनी मंजूरी में देरी होना चिंता का विषय है। इसे जल्द लागू करना जरूरी है। मैं आपके मंत्रालय से अनुरोध करता हूँ कि-

  1. एनडीएमसी अधिनियम, 1994 में संशोधन करें और संसद में एक वित्तीय विधेयक लाकर संपत्ति कर आकलन के लिए यूएएम को कानूनी रूप से मान्यता दें।
  2. विधायी प्रक्रिया को तेज करें, ताकि राजस्व संग्रह में कोई और बाधा न आए।
  3. सरल और स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करें तथा लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार अभियान चलाएं, जिससे यह प्रक्रिया आसानी से लागू हो सके।
  4. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के छह साल बाद भी हो रही यह देरी तुरंत संसदीय कार्रवाई की मांग करती है। एनडीएमसी को बाकी दिल्ली के साथ यूएएम के तहत लाने से समानता, सरलता और राजस्व वृद्धि सुनिश्चित होगी।

आशा है कि आप इस मामले को प्राथमिकता देंगे और एनडीएमसी अधिनियम में संशोधन के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे, जिससे करदाताओं और एनडीएमसी दोनों को लाभ होगा।

सर्वेंट क्वार्टर के दुरुपयोग के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत

राघव चड्ढा ने केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्री को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार की तरफ से विभिन्न पदाधिकारियों जैसे न्यायाधीशों, मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों एवं अन्य गणमान्यों को आवास के साथ ही उनके सहायकों के लिए भी सर्वेट क्वार्टर आवंटित किए जाते हैं। सरकार का सर्वेट क्वार्टरों को आवंटित करने का उ‌द्देश्य अफसरों और नेताओं के घरेलू स्टाफ के लिए आवास उपलब्ध कराना है, लेकिन कई जगह इनका गंभीर तरीके से दुरुपयोग किया जा रहा है।

कुछ नेताओं और अधिकारी घरेलू स्टाफ के लिए मिले इन क्वार्टरों को अवैध रूप से किराए पर दे रहे हैं, जो उनके घरेलू स्टाफ का हिस्सा नहीं है और इसके बदले उनसे किराया भी वसूला जाता है। यह इन क्वार्टरों के वास्तविक उ‌द्देश्य का उल्लंघन है और घरेलू कर्मचारियों के साथ अन्याय भी है।

किराए के बदले उनके वेतन से कटौती कर रहे हैं

कई मामलों में यह भी सामने आया है कि कुछ नेता और वरिष्ठ अफसर अपने घरेलू स्टाफ को सर्वेट क्वार्टर तो रहने के लिए दे रहे हैं, लेकिन बदले में वे उन्हें कोई वेतन नहीं दे रहे हैं और किराए के बदले उनके वेतन से कटौती कर रहे हैं। जिससे उन्हें अपने कानूनी रूप से अपने निर्धारित मेहनताने से वंचित रहना पड़ता है।

इस तरह के मनमानियों से घरेलू कर्मचारियों के अधिकारों का शोषण हो रहा है और उन्हें आर्थिक और भावनात्मक मुश्किलों का सामना करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। नेताओं और अफसरों के मुख्य बंगलों के सामने बने सर्वेंट क्वार्टरों का उद्देश्य घरेलू स्टाफ की कार्य स्थिति को बेहतर बनाना था, न कि सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग या श्रमिकों के शोषण को बढ़ावा देना।

इन समस्याओं के जल्द से जल्द निवारण के लिए मैं निम्नलिखित कदम उठाने का अनुरोध करता हूं-

  1. सर्वेंट क्वार्टरों के अवैध किराए पर देने पर रोक लगाने के नियमों को सख्ती से लागू करवाया जाए और नियमों का पालन न करने वालों पर दंड का प्रावधान किया जाए।
  2. सरकारी बंगलों का नियमित ऑडिट और निरीक्षण किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सर्वेंट क्वार्टरों का इस्तेमाल घरेलू स्टाफ द्वारा ही किया जा रहा है।
  3. सर्वेंट क्वार्टरों में रहने वाले सभी घरेलू कर्मचारियों के लिए एक उचित वेतन नीति लागू की जाए, जिससे आवास के अलावा उन्हें उचित वेतन भी मिले।
  4. सभी घरेलू कर्मचारियों के लिए शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जाए, ताकि वे शोषण या वेतन न मिलने पर समय पर शिकायत कर सकें।

इन कदमों से केवल घरेलू कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा होगी, बल्कि सर्वेट क्वार्टरों का सही इस्तेमाल भी सुनिश्चित होगा। इन समस्याओं का समाधान करना न केवल सरकारी संपत्तियों के सही से प्रबंधन के लिए जरूरी है, बल्कि घरेलू कर्मचारियों के अधिकार और गरिमा की रक्षा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। मेरा आपसे निवेदन है कि उपरोक्त समस्याओं का निवारण जल्द से जल्द किया जाए।

लुटियंस बंगला जोन के तहत बंगाली मार्केट में निर्माण के मानदंडों पर पुनः गौर करें

राघव चड्ढा ने आवासीय एवं शहरी मामलों के मंत्री को पत्र लिख कर कहा है कि मैं आपका ध्यान बंगाली मार्केट के निवासियों की गंभीर चिंताओं की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, जो लुटियंस बंगला जोन (एलबीजेड) के अंतर्गत आता है। 1988 से लागू सख्त निर्माण नियम एलबीजेड की वास्तुकला और विरासत को बचाने के लिए हैं, लेकिन इन नियमों को बंगाली मार्केट, जो एक आवासीय कॉलोनी है, पर लागू करने से वहां के निवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

बंगाली मार्केट में 280 आवासीय घर हैं और यह एक जीवंत कॉलोनी है। इनमें से 220 घर 2003 से पहले ही ग्राउंड के साथ दो मंजिला बिल्डिंग बन चुके हैं। हालांकि, अक्टूबर 2003 में नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) ने निर्माण पर पाबंदियां लगा दीं, जिससे बाकी के 60 घरों को सिर्फ एक मंजिला बनाने की अनुमति दी गई। इस असमानता के कारण लोगों के बीच असमान स्थिति पैदा हो गई है। एक मंजिला घरों में रहने वाले लोग अपने घरों को आधुनिक बनाने, विस्तार करने या परिवार की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं।

भूमि और विकास कार्यालय (एल एंड डीओ), जो आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अधीन काम करता है, इस क्षेत्र की प्रकृति को बनाए रखने के लिए इन नियमों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, लुटियंस बंगला जोन की विरासत को बचाने के उनके प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि बंगाली मार्केट एक आवासीय कॉलोनी है, जो बंगला की परिभाषा में नहीं आता। मौजूदा दिशानिर्देश बंगाली मार्केट के मकान मालिकों, खासकर एक मंजिला वाले 60 घरों के अधिकारों को अनुचित तरीके से सीमित करते हैं, जिससे असमानता और असंतोष पैदा हो रहा है।

मैं आपसे निम्नलिखित उपायों पर विचार करने का अनुरोध करता हूं-

  1. मौजूदा परिसरों में लिफ्ट और आवश्यक सुधार की अनुमति दें, ताकि विशेष रूप से बुजुर्ग निवासियों की आवाजाही और सुविधा की समस्याओं का समाधान हो सके।
  2. बंगाली मार्केट के सभी मकानों के लिए ग्राउंड व दो मंजिला निर्माण की अनुमति दें, जिससे सभी निवासियों के बीच समानता और न्याय सुनिश्चित हो सके।
  3. बंगाली मार्केट को एलबीजेड प्रतिबंधों से बाहर करने पर पुनर्विचार करें, क्योंकि यह एक प्लॉटेड आवासीय कॉलोनी है और बंगला जोन की परिभाषा में फिट नहीं बैठती।

इन उपायों को लागू कर, सरकार धरोहर को संरक्षित और लोगों की ज़रूरतों के बीच संतुलन बना सकती है, जिससे सभी हितधारकों के बीच समानता और न्याय सुनिश्चित होगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इस अनुरोध पर विचार करेंगे और बंगाली मार्केट क्षेत्र के निवासियों की चिंताओं को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। आपका हस्तक्षेप उनकी कठिनाइयों को कम करने में बहुत सहायक होगा और एक ऐसा समाधान सुनिश्चित करेगा जो धरोहर और आधुनिक आवश्यकताओं का सम्मान करता हो।

Aarohi
Aarohihttps://www.dnpindiahindi.in/
आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

Latest stories