सोमवार, मई 6, 2024
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आज है देवउठनी एकादशी का पावन दिन, जानें तुलसी विवाह के साथ पूजा का शुभ मुहूर्त

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Vishnu Vrat Katha & Aarti Lyrics: हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार गुरूवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु की पूजा करने से मन की कामनाएं पूरी होती है।

Dev Uthani Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में त्योहारों का सिलसिला चलता ही जा रहा हैं जिस क्रम में आज देवउठनी एकादशी का त्योहार मनाया जा रहा है. दीपावली के 11वें दिन आने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी या देवउठान के नाम से भी जाना जाता है. इस पावन दिन का धार्मिक और पौराणिक महत्व भी है, जिसके अनुसार आज के ही दिन भगवान विष्णु अपनी ध्यान निंद्रा से जाग कर धरती के कामों को अपने हाथों में लेते हैं वहीं इस दिन देवी तुलसी और शालिग्राम की भी शादी हुई थी जिसके बाद से इसी दिन से मांगलिक कार्यों की शुरूआत भी की जाती है. देवउठनी एकादशी के महत्व के साथ पूजा और शुभ मुहूर्त के बारें में बताने जा रहे हैं.

देवउठनी एकादशी पर पूजा का मुहूर्त

हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का खास तौर पर महत्व बताया गया है, मान्यताओं के अनुसार दुनिया के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा के साथ आज के दिन से ही शादियों और मांगलिक कार्यक्रम की शुरूआत भी हो जाती है. इस दिन नारायण की पूजा से सभी दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 03 मिनट से लेकर 09 बजे तक रहने वाला है वही खास दिन पर व्रत और पूजन का भी काफी महत्व बताया गया है. जिसे करने से मनवांछित वर की प्रप्ति होती है.

देवउठनी एकादशी पर पूजा का महत्व

1.आज के दिन माता तुलसी और शालिग्राम का विवाह हुआ था वहीं भगवान नारायण की ध्यान निंद्रा खुलने की वजह से इसका महत्व कई गुना बढ जाता हैं, आज के दिन की पूजा की कुछ खास चीजे इस प्रकार से बताई जा रही हैं.

2.सुबह उठकर नहा धोकर पूजा करते समय व्रत करने का संकल्प ले सकते हैं, साथ ही आज के दिन चावल खाने से परहेज करना चाहिए.

3.माता तुलसी को आज के दिन लाल चुन्नी, हरी चूड़ियां, बिंदी आदि सुहाग का सामान अर्पित करना चाहिए.

4.पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करना काफी अच्छा रहता है, वहीं शाम को पूजा के समय उन्हें गन्ना, सिंघाड़े, शकरगंदी, मूली, आलू, गाजर, बैंगन जैसी आने वाली सीजन की नयी सब्जियां चढाना अच्छा माना जाता है।

5.देवउठनी एकादशी के दिन बाजरे की खिचड़ी बनाकर नारायण का भोग लगाया जाता है, वहीं उनकी योगनिंद्रा को खोलने के लिए लोग गीत गाने की भी प्रचलित परंपरा है।

6.पूजा करने के बाद अपने मन की मनोकामना मांगते हुए व्रत का पारण कर सकते हैं, ऐसा करने से भगवान का आशिर्वाद हमेशा ही बना रहता है।

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Diksha Gupta
Diksha Guptahttps://www.dnpindiahindi.in
2022 से करियर की शुरुआत कर दीक्षा बतौर कंटेंट राइटर के रूप में अपने सेवाएं दे रही हैं। लिखने, पढ़ने और कुछ नया सीखने के जोश के साथ आगे बढ़ने में विश्वास करती हैं। साथ ही एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और वायरल खबरों पर लिखने में इन्हें विशेष रुचि है। [email protected] पर इनसे संपर्क कर सकते हैं।

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