Bihar Governor on Education: बिहार की शिक्षा व्यवस्था किस तरह से चल रही है इसके बारे में सबको पता है। ऐसा राज्य जहां कुछ समय पहले सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस निकलते थे, वहां के बच्चे अब स्कूल भी जाना पसंद नहीं करते। ऐसे में कई बार बिहार की शिक्षा नीति पर भी सवाल उठे हैं। वहीं शनिवार को बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भी इसको लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बिहार की नई शिक्षा नीति को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं। अपनी जिम्मेदारी के सही तरीके से निर्वहन न करने को लेकर भी उन्होंने दुःख व्यक्त किया है। इस दौरान राज्यपाल ने कहा है कि आने वाले समय में जब बच्चे हमसे जवाब मांगेंगे की आपने बिहार की शिक्षा नीति के लिए क्या किया है शायद उस वक्त हमारे पास कोई जवाब नहीं होगा।
बिहार के राज्यपाल ने शनिवार को हुए सीनेट की बैठक में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने इस बैठक के दौरान अपने कर्तव्यों के निर्वहन को लेकर भी चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ” बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बदहाली का जिम्मेदार कोई और नहीं है बल्कि मैं स्वयं हूं।” अगर मैं किसी जिम्मेदार पोस्ट पर बैठा हूं और उसके बाद भी शिक्षा व्यवस्था को नहीं सुधार सकता तो ये मेरे लिए बड़े शर्म की बात है।” वहीं उन्होंने बिहार की नई शिक्षा व्यवस्था को लेकर कहा है कि यहां की शिक्षा व्यवस्था में बहुत सी कमियां है तभी बिहार के ज्यादातर छात्र पढ़ने के लिए बाहर भाग रहे हैं।
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा “आज मैं राजभवन में आया हूं, तो यहां मौज करने के लिए मुझे नहीं भेजा गया है बल्कि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए भेजा गया है। अगर आराम करना है तो मैं घर पर भी कर सकता हूं। इस बैठक में उन्होंने बिहार की शिक्षा नीति को लेकर कहा कि मैं यहां की शिक्षा नीति को बदलना चाहता हूं, लेकिन ये काम मेरे अकेले से नहीं होगा। इसके लिए बिहार के और भी लोगों को मेरा साथ देने के लिए आगे आना होगा। राज्यपाल ने कहा कि मेरे आवास पर बहुत से लोग मुझसे मिलने के लिए आते हैं लेकिन बहुत ही कम लोग है जिन्होंने बिहार की शिक्षा को लेकर मुझसे बात किया होगा। ऐसे में अभी तक बिहार की शिक्षा में जो भी हुआ उसे छोड़कर अब नए शीरे से काम करने की जरूरत है।
राज्य पाल ने नई शिक्षा नीति को लेकर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि बिहार की नई शिक्षा नीति साल 2020 में बनकर तैयार हुई थी लेकिन अभी तक इसे किसी भी विद्यालय में सही तरीके से पालन नहीं करवाया जा रहा है। वहीं राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि आज के समय में बिहार की शिक्षा नीति में और भी इंप्लीमेंटेशन करने की जरुरत है। वहीं राज्यपाल ने अपनी मातृ भाषा को आगे बढ़ाने पर भी जोर दिया है।
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