Asim Munir: एशिया में फिर एक बार पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बुरी तरह से भद्द पिटी है। पूरा मामला अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच जारी शांति वार्ता के विफल होने से जुड़ा है। तुर्की और कतर की मध्यस्थता के बावजूद इंस्ताबुल में हुई शांति वार्ता बेनतीजा रही है। अब फिर 6 नवंबर को नए सिरे से वार्ता कर युद्धविराम की चर्चा करेंगे। हालांकि, ये लगभग तय है कि पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों के साथ शांति वार्ता को फिर विफल करेगा।
इससे पूर्व भी कई मौकों पर आसिम मुनीर को सामरिक दबाव या दिवालियापन के कारण शर्ते मंजूर करते और फिर अपनी ओछी हरकत दोहराते देखा चुका है। यही वजह है कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच जारी संघर्ष के दौर में दो शांति वार्ता विफल हो चुकी हैं। अफगानी हुकूमत का साफ कहना है कि यदि आसिम मुनीर की सेना युद्धविराम समझौतों से खेलवाड़ करेगी, तो अबकी बार लड़ाई आर-पार की होगी। तालिबानी हुकूमत की ये चुनौती दर्शाती है कि कैसे मुनीर सेना उनके समक्ष पस्त हो चुकी है।
तालिबानी हुकूमत के आगे पस्त हुई Asim Munir की सेना!
इस तर्क के पीछे कुछ ठोस कारण बताए जा रहे हैं जिनके बारे में हम आपको बताएंगे। दरअसल, तालिबानी हुकूमत जहां एक ओर खुलकर आमना-सामना करने की जिद लिए बैठा है। वहां आसिम मुनीर का बार-बार शांति वार्ता को वरीयता देना उनके भीतर के खौफ को प्रदर्शित कर रहा है। डूरंड रेखा पर हुई झड़प के बाद तालिबानियों से मुंह की खा चुकी पाकिस्तानी सेना को डर है कि कहीं फिर उलझ गए, तो बुरी तरह धोए जाएंगे।
यही वजह है पस्त हुई आसिम मुनीर की सेना भागे-भागे तुर्की और कतर की शरण में पहुंचकर मध्यस्थता पर जोर दे रही है। हालांकि, एक पक्ष ये भी है कि अपनी आदत से मजबूर आसिम मुनीर आगे समझौता करेगी और पीछे सीजफायर का उल्लंघन कर अपने नापाक हरकतों का उदाहरण देगी। यही वजह है कि अफगानी हुकूमत सख्ती के साथ पाकिस्तान से दो-दो हाथ करने को बेताब है।
पाक-अफगानिस्तान शांति वार्ता पर क्यों नहीं बन रही बात?
इसका प्रमुख कारण है पड़ोसी मुल्क की नापाक हरकतें। दरअसल, पाकिस्तान को थूक कर चाटने में महारत हासिल है। पूर्व में कई ऐसे मौके देखने को मिल चुके हैं जब आसिम मुनीर की सेना सीजफायर का उल्लंघन करती है। पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच ताजा छिड़े इस संघर्ष के दौर में भी ये देखने को मिला था।
यही वजह है कि दोनों मुल्कों के बीच दो शांति वार्ता विफल रही है। खबर है कि तुर्की और कतर की मध्यस्थता से फिर एक 6 नवंबर को पाकिस्तान और अफगानी हुकूमत के प्रतिनिधि बैठकर शांति वार्ता करेंगे। हालांकि, ये वार्ता किस हद तक सफल होगी इसके लिए सही समय का इंतजार करना होगा। इस बीच एक बात तय है कि यदि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और फिर टकराया, तो तालिबानी हुकूमत मुनीर सेना को फिर धूल चटाने का काम करेगी।






